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________________ ®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®@GOOG * जो तुमको मिला है उस पर तुमको गर्व है, परन्तु उसका क्या विश्वास ? मांग कर लिया गया माल से कभी अमीर नहीं बना जहाता। स्व और पर की सुरक्षा की जो जिम्मेदारी लेता है वही नाथ है। कितना जानते हो; यह बात महत्व की नहीं है किन्तु तुम्हारे भाव कैसे हैं यह बात महत्व की है। तुम अपने हृदय को सरल और बुद्धि को निर्मल रखना। अपना परलोक ज्ञान पर नहीं भाव पर निर्भर है। * धर्म का ढोंग करना सरल है किन्तु धर्मी बनना कठिन है। अच्छा दिखने-दिखाने के लिए बहुत करते हैं; परन्तु अच्छा होने के लिए हमारे पास क्या कार्यक्रम है ? है कोई कार्यक्रम? * सूरज कभी का उदित हो गया है। अपनी दुनिया को इसने हजारों किरणों से प्रकाशित कर दिया है, सिर्फ हमें द्वार खोलने की देर है । हृदय-द्वार खुलते ही अंधेरा चला जाएगा। प्रकाश से दुर्गन्ध, जीव के रोग कीटाणु भी चले जाएंगे । दोष-रुपी धूलकचरा दिखाई देने लग जाएगी। तुम उनको दूर करने का उपाय सोचना । कैसी गजब की बात है। * शांत, पवित्र, निर्मल, अंदर से खाली हो कर सरल स्वभाव से ज्ञानी की वाणी सुन लेना चाहिए, जिससे निश्चित खुशी से भर जाओगे। * उत्तम - बड़े :- बड़े भाग्य वाले देकर खुश होते हैं। मध्यम :- मध्यम लोग बचाकर खुश होते हैं। अधम :- अधम मनुष्य मुफ्त का लेकर प्रसन्न होते हैं। अधमाधम :- अधम से भी अधम (नीच)-दूसरे को ठगना, पीड़ा पहँचा, इसी काम से खुश होते हैं। प्रकृति की कोर्ट में सभी कुछ लिख रहा है । तुम सावधान रहना। तुम समझदार बनना, प्रत्येक पल अमूल्य है । उसको व्यर्थ मत खोना । घर में सभी एक साथ बैठकर सामायिक करना, धर्मकथा करना, मुट्ठि सहियं, गठ्ठि सहियं, ऐसे घंटे दो घंटे के प्रत्याख्यान करना; पूर्ण सरलता से धर्म क्रिया करना । पैसे से कुछ भी नहीं आता । पैसे से सत्यता को असत्य में बदलने की नाकाम कोशिश ना करना । पक्षी के समान यह जीवन है; एक दिन उड़ जाना है। । । । 909090900909090905090909090131909090909090905090900909090
SR No.007276
Book TitleShrut Bhini Ankho Me Bijli Chamke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Doshi
PublisherVijay Doshi
Publication Year2017
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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