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©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©® * संघ जितना बिखरा हुआ होगा उतना ही कमजोर होगा । जितना कमजोर होगा, उतनी
अराजकता (Defects inadministrations) का दबाव होगा। कलियुग में संघ
का ही बल है। * विनय देखना हो तो जैन परिवार के घरों में जाओ : वहां देखने को मिलेगा । ग्रंथों में
लिखा है, भगवान ने हमें कैसी जवाबदारी सुपर्द की है, यह विचार करना । यह सब
विचार करने योग्य है। * बड़े के साथ सम्मान से और छोटे के साथ प्रेम से व्यवहार करना चाहिए। सम्मान देने से विनयगुण को बल मिलता है। बड़े को दिया सम्मान शीघ्र फलता है। ___ यज्ञीय अध्ययन - एक रोचक कथा
उत्तराध्ययन सूत्र - अध्ययन 25वाँ मनुष्य को देखते, सुनते और समझते आ जाय तो किनारा लग जाता है । पशु, पक्षी, और करोड़ों मनुष्यों को भी आंख, कान, बुद्धि आदि सभी मिला है परन्तु उसका लाभ नहीं मिला।
समग्रता से, गहनता से देखना आ जाए तो सुंदर शरीर के स्थान पर अस्थिपिंजर ही दिखाई देते हैं। (अशुचि-भावना)
दुःखी, दरिद्री, अपराधी या मुर्दे को देखो-सोचो मुक्ति का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा। मेंढक बाहर निकलने के लिए जोर आजमा रहा है, किन्तु नहीं छूट सकता । बोल भी नहीं सकता, सर्प के टेढ़ी दाढ़ के बीच दबा हुआ शिकार निकल नहीं सकता । ऐसे में पतंगिया उड़ता-कूदता वहां आ गया, मेंढक उसको अपनी जीभ से पकड़ने के लिए छटपटा रहा है । पतंगिया उसके आस-पास उड़ रहा है । मेंढक यह भूल गया कि खुद सर्प के मुंह में है । अब देखो इसकी हालत ? टर्र-टर्र भी बंद है, फिर भी उसकी मांग बंद नहीं । इच्छा, अभिलाषा और आकांक्षा को पहिचानो। __अपनी जिन्दगी का यही स्वरूप है, आखें कहां घुमती हैं, जिव्हा कहाँ सरसराती रहती है? मन की कितनी ही मांगे हैं, अभिलाषाएँ हैं ?
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