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________________ निवेदन । यह मूल्य क्यों ? इसके जवाब में यह कहना हम उचित समझते हैं कि रकमह केवल इस ही ग्रन्थ के प्रकाशन में नहीं परन्तु ग्रन्थमाला के साहित्यकार्य के लिये प्राप्त हुई है इसमें से हम उत्तरोत्तर जहां तक संभव होगा, साहित्य सेवा किया करेंगे। इस पुस्तक का मूल्य भी जब की लागत भी करीब छः से अधिक होने जा रहा है, हमने केवल पांच ही रक्खा है जो पुस्तक के महत्त्व को और कलेवर को देखते अधिक नहीं कहा जा सकता। और उसमें भी वर्तमान विश्वयुद्ध ने तो चारों ओर महंगाई का ही बोलबाला बना रक्खा है। . अन्त में हम हमारे आर्थिक सहायकों का जिनकी सहाय्य के आधार पर ही इतने विशालकाय ग्रन्थ का प्रकाशन सम्भव हो सका है, आभार मानते हैं और दूसरों के भी, जिन्हों ने हमें विविध रूप से साहाय्य दी है, हम ऋणी है । -प्रकाशक
SR No.007268
Book TitleTattva Nyaya Vibhakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLabdhisuri
PublisherLabdhisuri Jain Granthmala
Publication Year1943
Total Pages676
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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