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________________ भेतुम् 33 स lirică o vio có संस्कृतम्-२ 3.3.(११0.8.8.83.3.3.8418-१५.४.४ न | धातु त्वर्थ | संघ वर्तमान वर्तमान | भलिभूत तव्य अनीय કર્તરિ भटिश भर्तुम् | भृत्वा | बिभ्रत् / बिभ्राण| भ्रियमाण भृत | भर्तव्य भरणीय हेतुम् ह्रीत्वा जिह्रियत् ह्रीयमाण हीत / ह्रीण| हेतव्य ह्रयणीय मातुम् मित्वा मिमान | मीयमान मित मातव्य मानीय हातुम् हित्वा जहत् हीयमान हीन हातव्य हानीय हातुम् हात्वा जिहान हायमान हान हातव्य हानीय भीत्वा बिभ्यत् भीयमान भीत भेतव्य भयनीय भेय दातुम् दत्त्वा ददत् / ददान | दीयमान 'दत्त दातव्य दानीय देय धातुम् | | हित्वा | दधत् / दधान | धीयमान हित धातव्य धानीय धेय नेक्तुम् | निक्त्वा नेनिजत् । । |निज्यमान निक्त नेक्तव्य नेजनीय नेज्य नेनिजान होतुम् | हुत्वा जुह्वत् हूयमान हुत होतव्य हवनीय हव्य / हाव्य पर्तुम् । पृत्वा पिप्रत् प्रियमाण पृत पर्तव्य परणीय पार्य / पृत्य परितुम् / पूर्वा पूर्यमाण पूर्ण / पूर्त परीतव्य / परणीय पार्य परीतुम् परितव्य अर्तुम् | ऋत्वा इयूत् | अर्यमाण ऋत । अर्तव्य अरणीय | अर्य / आर्य वेष्टुम् | विष्ट्वा वेविषत्/वेविषाण विष्यमाण विष्ट । वेष्टव्य वेषणीय | वेष्य 1. नि + दा = नीत्त / निदत्त, आ + दा = आत्त, उप + दा = उपात्त, अव + दा = अवत्त / अवदत्त वा has pro pau पिपुरत् .
SR No.007261
Book TitleSaral Sanskritam Dwitiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhaktiyashvijay
PublisherDivyadarshan Trust
Publication Year
Total Pages296
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size33 MB
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