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खण्ड ] :: विभिन्न प्रान्तों में प्राज्ञा० सद्गृहस्थों द्वारा प्रतिष्ठित प्रतिमायें-गूर्जर-काठियावाड़ और सौराष्ट्र-अहमदाबाद : [ ४५
प्र० वि० संवत् प्र० प्रतिमा प्र. प्राचार्य प्रा० ज्ञा० प्रतिमा-प्रतिष्ठापक श्रेष्ठि सं० १५५६ माघ सुमतिनाथ तपा० हेमविमल- गोलवासी प्रा० ज्ञा० श्रे वाघमल की स्त्री ममकूदेवी के पुत्र कृ०२ गुरु०
सरि सीहा की स्त्री राणादेवी ने भ्रातृ नाथा भा० जसमादेव
के सहित स्वश्रेयोर्थ.
कोबा सं० १५०८ वै० शांतिनाथ द्विवंदनीकपक्षीय- प्रा० ज्ञा० श्रे० करण की स्त्री लीलादेवी के पुत्र लाड़ा शु० ५ शनि
देवगुप्तसरि भा० प्रोतम. अहमदाबाद के श्री बावन-जिनालय में (हठीभाई की बाड़ी) सं० १५०४ ज्ये० आदिनाथ- बृ० तपा० रत्न- अहमदाबादवासी प्रा० ज्ञा० म० गेलराज की स्त्री रयकूदेवी शु० १० सोम० पंचतीर्थी सिंहसूरि की पुत्री आपूदेवी ने स्वश्रेयोर्थ.
श्री जिनालय में (सोदागर की पोल) सं० १३०५ ज्ये० ........ नागेन्द्रगच्छीय- प्रा० ज्ञा............. शु०७
उदयप्रभसूरि सं० १४५८ वै० पार्श्वनाथ पूर्णिमापक्षीय- प्रा० ज्ञा० श्रे० कुदा की स्त्री खांतीदेवी के पुत्र गोवल ने कु०२ बुध.
शीतलचन्द्रसूरि माता के श्रेयोर्थ. सं० १४८१ फा. पार्श्वनाथ तपा० सोमसुन्दर- प्रा. ज्ञा० श्रे० सूरा की स्त्री पोपी के पुत्र प्राशा ने स्वशु०२
सूरि भार्या रूपिणीदेवी पुत्र सारंगादि के सहित स्वश्रेयोर्थ. सं० १५१० माघ धर्मनाथ तपा० रत्नशेखर- देकावाटवासी प्रा. ज्ञा० श्रे० सता की स्त्री दीदेवी के मास में
सूरि पुत्र जसराज ने स्वस्त्री सइसुदेवी, पुत्र माणक, रंगादि के
सहित स्वश्रेयोर्थ. सं० १५२३ वै० कुंथुनाथ --- बृ० तपा० जिन- सहुबालावासी प्रा. ज्ञा. श्रे. गांगा की स्त्री रूपिणी की कृ० ४ शुक्र०
- रत्नसरि पुत्री वाहू नामा ने स्वश्रेयोर्थ. सं० १५२५ मार्ग० आदिनाथ- तपा. लक्ष्मी- अहमदाबाद में प्रा० ज्ञा० मं० चांपा की स्त्री चापलदेवी शु० १० चोवीशी सागरसूरि के पुत्र मं० सरिया ने स्वमा० सहिजलदेवी, इजलदेवी,
पुत्र हेमराज, धनराजादि के सहित पितृव्य धागा के श्रेयोर्थ. सं० १५३० मा० चन्द्रप्रम
प्रा. शा. श्रे० पर्वत की स्त्री संपूरीदेवी के पुत्र मान्हा शु० ५शुक्र० पंचतीर्थी
ने स्वभा० धनीदेवी, रूहिजादेवी, पुत्र नत्था, हाथी के सहित स्वश्रेयोर्थ.
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जै० घा०प्र०ले०सं०भा०१ले०७६२.७५४,७६८,७८८,७८४, ७८६, ७६८, ७८६,८०१।