SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 653
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४५४ ] प्र० वि० संवत् सं० १५५२ वै० शु० १३ मं० सं० १५५६ आषाढ़ चन्द्रप्रभ शु० ८ बुध० प्र० प्रतिमा विमलनाथ नागेन्द्रगच्छीय हेमरत्नसूर सं० १५६० पौ० आदिनाथ कृ० १२ रवि ० चोवीशी सं० १५६६ मार्ग • आदीश्वर - अंचलगच्छीय शु० ५ शुक्र० जयकेसरिरि चोवीशी सं० १४६६ श्रा० शु० १० सं० १४६५ :: प्राग्वाट - इतिहास :: प्रा० ज्ञा० प्रतिमा-प्रतिष्ठापक श्रेष्ठि प्रा० ज्ञा० श्रे० गोपीचन्द्र की स्त्री सुलेश्री के पुत्र देवदास ने स्वभा० शोभादेवी गुणिया माता के श्रेयोर्थ. तपा० विमलशाखीय राजनगरवासी प्रा० ज्ञा० श्रे० बीयसव की स्त्री रामबाई ज्ञानविमलसूर के पुत्र श्रे० वीरचन्द्र ने स्वभा० सावित्रीदेवी, पुत्र जेठमला दि के सहित. प्रा० ज्ञा० ० नाउ ने स्वस्त्री हंसादेवी, पुत्र ठाकुरसिंह भा० आल्हादेवी, भ्रातृ वरसिंह भा० सलाखुदेवी पुत्र चांदमल भा० सोमदेवी, ठाकुदेवी पुत्र जयसिंह के सहित. तपा० विमलशास्त्रीय राजनगरवासी प्रा० ज्ञा० सा० बवली की स्त्री रामबाई ने ज्ञानविमल रि पुत्र सविरा भा० सावित्रीदेवी पुत्र जेवादि के सहित. राजनगर में प्रा० ज्ञा० ० सौभाग्यचन्द्र के पुत्र विजयचंद्र गच्छीय धनेश्वरसूरि ने. कलोल सं० १७५१ आषाढ़ चन्द्रप्रभ ० ८ बुध० सं० १७५८ माघ अजितनाथ विजयासंदर शु० १० बुध ० सं० १४६६ माघ शु० ५ प्र० आचार्य सं० १४८१ माघ विमलनाथ श्रीसूरि तपागच्छी लघुशाखीयसौभाग्य कड़ी के मूलनायक श्री संभवनाथ के जिनालय में सूरि तपा० सोम सुन्दरवरि " [ तृतीय विश्वलनगरवासी प्रा०ज्ञा० दो० श्रे० राम की स्त्री रामादेवी के पुत्र ठाकुर ने स्वभा० अळवादेवी, पुत्र हीराचंद्र, भ्रातृ नाकर भा० जीवादेवी पुत्र जयवंत, भ्रा० वत्सराज भा० अवीदेवी पुत्र जागा, भ्रातृ रंगा भा० कनकदेवी आदि के सहित सर्वश्रेयोर्थ. प्रा० ज्ञा० ० ... खेरालु के श्री आदिनाथ - जिनालय में सुविधिनाथ तपा० देवसुन्दर- प्रा० ज्ञा० पुत्र पाहड़ने भ्राता आदि के सहित विमलनाथ प्रा० ज्ञा० ० वकराज ने स्वश्रेयोर्थ. महावीर प्रा० ज्ञा० ० थाबड़ की स्त्री माल्हणदेवी के पुत्र वरसिंह ने पुत्र मूलसिंह, मणोर पुत्र मांकू के सहित स्वभा० हिमदेवी के श्रेयोर्थ. जै० घा० प्र० ले० सं० भा० १ ० ७०१, ६६६, ६६८, ७०६, ७१०, ७१६. ७३०, ७६१, ७५३ ।
SR No.007259
Book TitlePragvat Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatsinh Lodha
PublisherPragvat Itihas Prakashak Samiti
Publication Year1953
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy