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प्राचा-इतिहास:
[तृतीय
प्र० वि० संवत् प्र० प्रतिमा प्र० आचार्य प्रा० शा० प्रतिमा-प्रतिष्ठापक श्रेष्ठि सं० १४-६ पार्श्वनाथ तपा० सोमसुन्दर- प्रा० ज्ञा० ० पान्म की स्त्री माणकदेवी के पुत्र श्रे० भीम
सरि ने स्वभा० चंपादेवी के सहित स्वपितामह कान्हड़ के श्रेयोर्थ. सं० १४५६ शांतिनाथ धर्मतिलकसरि- प्रा. ज्ञा० श्रे० सहसदत्त की स्त्री वीणलदेवी के पुत्र रुदा,
रत्ना ने पितादि के श्रेयोथे. सं० १४८६ माघ श्रीवर्धमान तपा० सोमसुन्दर- प्र. ज्ञा० श्रे० खेता की स्त्री तिलकदेवी के पुत्र ने कामशु० ४ शनि०
गरि देव ने स्वभार्या धरणदेवी के सहित स्वश्रेयोर्थ.. सं० १४८८ महावीर सुविहितसारि प्रा. ज्ञा० म० कर्मा के पुत्र लींबा की स्त्री ऊनकूदेवी के
पत्र कडुना ने पिता के श्रेयोर्थ. सं० १४६६ माघ कुन्थुनाथ- तपा० सोमसुन्दर- प्रा. ज्ञा. श्रे. राजड़ की स्त्री भवकूदेवी के पुत्र श्रे० चोवीशी
आका की स्त्री मनीलाई के पुत्र रहिया ने स्वभा० लीला
देवी, भ्राता महीप आदि कुटुम्बसहित स्वश्रेयोर्थ. सं० १५०८ प्रा० पत्रप्रभ- इ. तपा० रत्न- वीशलनगरवासी प्रा०ज्ञा० श्रे० हूदा के पुत्र सं० सायर की शु० २ सोम० पंचतीर्थी सिंहसरि स्त्री प्रासलदेवी के पुत्र हरिराज, नथमल ने माता-पिता के
श्रेयोर्थ. सं० १५१२ फा० धर्मनाथ- सा० पू० पुराव- उद्ववासी प्रा० बा० ० सूद की स्त्री सहजलदेवी के पुत्र
क. १ रवि० पंचतीर्थी चन्द्रमणि चांपा ने स्वभाः यापू, पुन लीकानि के सहित सं० १५१३ वै० संभवनाथ तपा० सुस्सुन्दर- २० ज्ञा० श्रे० सहदेव की स्त्री सलखणदेवी के पुत्र पुंज
सरि (राम) ने स्वभार्या पुरि, पुत्र वरजंगादि के सहित. सं०:१५१३ जो शीतलनाथ- सा० पू० विजय. स्तंभतीर्थवासी प्रा. ज्ञा० श्रे० नल ने स्त्री मागलदेवी, कृ. ७ मं० चोवीशी चन्द्रसूरि पुत्र बाला, माला, देवदास, सूदा आदि कुटुम्बियों के
सहित पिता माता के श्रेयार्थ. सं० १५१५ माष श्रेयांसनाथ मलधारीमच्छीय- प्रा. ज्ञा० दोसी श्रा० मटकूदेवी के पुत्र वाछा की स्त्री शु०१ शुक्र०
गुणसुन्दरसूरि चंगादेवी के पुत्र पद्मशाह ने पिता, भ्राता सधारण के श्रेयोर्थ. सं० १५२३ माष कुन्थुनाथ तपा० लक्ष्मी- नादियाग्राम में प्रा० ज्ञा० श्रे० रत्ना की स्त्री माल्हणदेवी
सागरसूरि के पुत्र व्य. समरा ने स्वभार्या सहजलदेवी,पुत्र इङ्गर, जइना,
विजय, दादि के सहित स्वश्रेयोर्थ. सं० १५२५ फार शांतिनाथ तपा० लसी- उपहसवासी प्रा० ज्ञा० श्रे० मेघा की स्त्री मटकूदेवी के पुत्र शु०७ शनि.
सागरसूरी खींबा ने लाड़ीदेवी के सहित. जै०या० प्र०ले० सं० मा०१ ले० १५०, १४७, २०२, २०७,१६५, २०९,१४८, १७१, १६८, १७२, १६७, १५६ ।