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] : विभिन्न प्रान्तों में प्रा०शा० सद्गृहस्थों द्वारा प्रतिष्ठित प्रतिमायें - गुर्जर काठियावाड़ और सौराष्ट्र-उंका : [
प्र० वि० संवत्
प्र० प्रतिमा
प्र० आचार्य
प्रा. ज्ञा. प्रतिभा प्रतिष्ठापक श्रेष्ठ अंटवालवासी प्रा० शा ० मरसिंह की सी चीदेवी के पुत्र लाला ने स्वमा० राजूदेवी, हलूदेवी, फइदेवी, पुत्र पोपटादि सहित स्वश्रेयोर्थ.
सं० १५२५ वै० शु० ६ सोम ०
सं० १५२७ ज्ये० क्र० ७ सोम ०
सं० १५२८ फा० शु० ८ सोम ०
सं० १५२६ वै०
शु० ३ शनि०
सं० १५३१ माघ कृ० सोम ०
सं० १५३३ माघ
कु० १० गुरु ० सं० १५३४ [फा०
शु० १० गुरु० सं० १५३४ वै०
कृ० १० सं० १५३५ पौष
शु० ६ बुध ०
आदिनाथ
सं० १५६१ माघ
कृ० ११ गुरु०
नमिनाथ
कुन्थुनाथ
नमिनाथ
आदिनाथ
नमिनाथ
विमलनाथ
सुमतिनाथ
शीतलनाथ
धर्मनाथ
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सागर
वृ० पी० ज्ञान- प्रो० ज्ञा० सं० सायर की स्त्री श्रासलदेवी के पुत्र सं० नथमल ने स्वभा० यीताणदेवी, पुत्र शिवराज आदि के सहित. जईतलवसणांवासी प्रा० शा ० ० मूला की स्त्री पूरीदेवी के पुत्र मं० सहिसा ने स्वभा० सुहासिणी, पुत्र जंगा, गपंदि आदि के सहित स्वश्रेयोर्थ. दसावाटक-वासी प्रा० शां० श्रे० नीणा की स्त्री राउदेवी के पुत्र झांझण ने स्वभा० नाथीदेवी, पुत्र मंडन भा० राणीदेवी आदि के सहित पितृव्य मेघा और स्वश्रेयोर्थ. अहमदाबाद-वासी प्रा० ज्ञा० ० कडूआ के पुत्र समस के पुत्र सोमदत्त ने स्वभा० देमाईदेवी के सहित स्वश्रेयोर्थ. प्रा० ज्ञा० श्रे० पर्वत की स्त्री माईदेवी के पुत्र सांडा ने स्वभा० तेजूदेवी, पुत्र रामादि के सहित.
प्रा० ज्ञा०० श्रे धर्मसिंह की स्त्री लाड़ीदेवी के पुत्र विनायक ने स्वभा० धनादेवी आदि के सहित स्वश्रेयोर्थ. पीरीवाड़ा-वासी प्रा० ज्ञा० श्रे० नृसिंह की स्त्री धर्मिणीदेवी के पुत्र गोपा की भार्या माइना ने स्वश्रेयोर्थ. प्रा० ज्ञा० ० सहद की स्त्रीं सलखणदेव के पुत्र पूजा ने स्वभा० मापुरी पुत्र प्रदादेव आदि के सहित पुत्र वज्रङ्गी मा० रहीदेवी के श्रेयोर्थ.
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तपा० लक्ष्मी
सागरसूर
श्रागमगच्छीय
देवरत्नसूर
तपा० लक्ष्मी
सागरसूर
पू० पक्षीय सिद्ध
सूरि तपा० लक्ष्मी
सागर
श्रीवर
पत्तन में प्रा शा ० मं० पूंजा की सी भलीदेवी के पुत्र मं० चांपा व खाली, पुत्र लक्ष्मीदास, भ्राता चांगा मा० सोनादेवी पुत्र अयन्त, भगिमी अधकूदेवी, पुत्र बाछीदेवी आदि सहित.
जै० घा० प्र० ले० सं० भा० १ ० १७७, २०३, १७८, १८४, १५२. २०६. १६५, २६६, १५३, १४८ ।