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________________ :: प्राग्वाद-इतिहास: पर एक गोलमगोल बात कह देने भर ही है। यदि इन ज्ञातियों की उत्पत्ति का समय इतना प्राचीन होता तो सैंकड़ों वर्षों में इनके गोत्र और शाखा भी बहुत हो गई होती और उनका उल्लेख तेरहवीं शताब्दी तक के ग्रंथादि में नहीं मिलने से वह समय किसी तरह मान्य नहीं हो सकता। __ जहां तक ओसवालज्ञाति का सम्बन्ध है, उसके स्थापक उपकेशगच्छ, उएसनगर का भी जैनसाहित्य में ग्यारहवीं शताब्दी के पहिले का कोई भी उल्लेख नहीं मिलता । इसी तरह श्रीमाल और पौरवाड़ों का भी प्राचीन साहित्य में उल्लेख नहीं आता। मुनि ज्ञानसुन्दरजी ने श्रोसवालज्ञाति की स्थापनासंबंधी जितने प्राचीन प्रमाण बतलाये थे, उन सब की भलीभांति परीक्षा करके मैंने अपना 'ओसवालज्ञाति की स्थापनासंबंधी प्राचीन प्रमाणों की परीक्षा' शीर्षक लेख 'तरुण-श्रोसवाल' के जून-जुलाई सन् १६४१ के अंक में प्रकाशित किया था। जिसको बारह वर्ष हो जाने पर भी कोई उत्तर मुनि ज्ञानसुन्दरजी की ओर से नहीं मिला। इससे उन प्रमाणों का खोखलापन पाठक स्वयं विचारलें । - वैश्यों की ज्ञातियों की संख्या चौरासी बतलाई जाती है। पन्द्रहवीं शताब्दी से पहिले के किसी ग्रन्थ में मुझ को उनकी नामावाली देखने को नहीं मिली। जो नामावलियां पन्द्रहवीं से अट्ठारहवीं शताब्दी की मिली हैं, . उनके नामों में पारस्परिक बहुत अधिक गड़बड़ है। पांच चौरासी ज्ञातियों की नामों की बंश्यों की चौरासी ज्ञातिया सूची से हमने जब एक अकारादि सूची बनाई तो उनमें आये हुये नामों की सूची १६० के लगभग पहुँच गई । इनमें से कई नाम तो अशुद्ध हैं और कई का उल्लेख कहीं भी देखने में नहीं आता और कई विचित्र-से हैं । अतः इनमें से छाँट कर जो ठीक लगे उनकी सूची दे रहा हूं। १ अगरवाल १६ करहीया ३१ खटबड़ ४६ गोलावाल २ अच्छतिवाल १७ कलसिया ३२ खड़ाइता ४७ गोलाउड़ ३ अजयमेरा १८ कषेला ३३ खंथड़वाल ४८ घांध ४ अठसखा १६ कण्डोलिया ३४ खंडेरवाल ४६ चापेल ५ अड़लिजा २० कंबोजा ३५ गजउड़ा ५० चिड़करा ६ अवधपुरिया २१ काकड़वाल ३६ गदहीया ५१ चीतोड़ा ७ अष्टवग्री २२ काथोरा ३७ गयवरा ५२ चीलोड़ा ८ अस्थिकी २३ कामगौत ३८ गूजराती ५३ चउसखा ६ अहिछत्रवाल २४ कायस्थ ३६ गूर्जरपोरवाड़ ५४ छवत्राल १० आणंदुरा २५ काला ४० गोखरुमा ५५ छापणिया ११ उमवाल २६ कुंकन ४१ गोडिणा ५६ छःसखा १२ कथकटिया २७ कुण्डलपुरी ४२ गोमित्री ५७ जालहा १३ कठिणुरा २८ कुंबड़ ४३ गोरीवाड़ ५८ जांगड़ा १४ कपोल २६ कोरड़वाल ४४ गोलसिंगारा ५६ जाइलवाल १५ करणसिया ३० कोरंटवाल ४५ गोलापूर्व
SR No.007259
Book TitlePragvat Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatsinh Lodha
PublisherPragvat Itihas Prakashak Samiti
Publication Year1953
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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