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________________ २६०] :: प्राग्वाट-इतिहास: [तृतीय मंगलवार को महामहोत्सव किया और श्रे० तिहुणा, मं० पेथड़, म० हापा के परिजनों ने श्री महावीरबिंब करवा कर श्रीरत्नप्रभसरि के पट्टालंकार भट्टारक श्रीसर्वाणंदररि के उपदेश से उसी दिवस को प्रतिष्ठित करवाया। वंश-वृक्ष थिरपाल [देदीबाई] नरपाल हापा तिहुणा कान्हू केल्हा ... पेथड़ [जाणीदेवी] विक्रम थड़सिंह मं० ऊदा राउल मोल्हा कचा मं० वीन्हा । | काजा चांपा सूरा सहसा हरभा हरपाल पंडित प्रवर लक्ष्मणसिंह वि० सं० १४६३ उदयपुर राज्यान्तर्गत श्री देवकुलपट्टक (देलवाड़ा) नामक अति प्राचीन नगर के श्री पार्श्वनाथस्वामी के बड़े जिनालय में प्राग्वाटज्ञातीय गौष्ठिक श्रे० झाझा की धर्मपत्नी लक्ष्मीबाई के देवपाल नामक पुत्र हुआ था । देवपाल की स्त्री देवलदेवी के श्रे० कुरपाल, श्रीपति, नरदेव, धीणा और पंडित लक्ष्मणसिंह नामक पुत्र हुये थे। लक्ष्मणसिंह कछोलीवालगच्छीय पूर्णिमापक्ष की द्वितीय शाखा के आचार्य श्री भद्रेश्वरसूरिसंतानीयान्वय में भ० श्री रत्नप्रभसूरि के पट्टालंकार श्री सर्वानंदसूरि का श्रावक था। लक्ष्मणसिंह ने वि० सं० १४६३ वैशाख कृ० ५ को अपने गुरु सर्वाणंदमूरि के सदुपदेश से स्वश्रेयार्थ श्री पार्श्वनाथस्वामी की दो कोयोत्सर्गस्थ प्रतिमायें प्रतिष्ठित करवाई।* *जै० ले० सं० भा०२ ले०१६६६
SR No.007259
Book TitlePragvat Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatsinh Lodha
PublisherPragvat Itihas Prakashak Samiti
Publication Year1953
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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