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________________ २५८ ] :: प्राग्वाट - इतिहास :: सिरोही राज्यान्तर्गत कोटराग्राम के जिनालय के निर्माता श्रेष्ठि सहदेव वि० सं० १४६५ कोटरा ग्राम में जो श्रीमहावीर जिनालय है, वह प्राग्वाटज्ञातीय सहदेव ने बनवाया था तथा उसने पूर्व में वि० सं० १२०८ वर्ष में पिप्पलगच्छीय श्री विजयसिंहसूरि द्वारा प्रतिष्ठित डींडिला नामक ग्राम के जिनालय के मू० नायक महावीरबिंब को वहाँ से लाकर पश्चात् वि० सं० १४६५ में पिष्पलाचार्य श्री वीरप्रभसूरि द्वारा स्वविनिर्मित जिनालय में मू० नायक के स्थान पर स्थापित करवाया था । १ वीवाड़ा ग्राम के श्री आदिनाथ जिनालय के निर्माता श्रेष्ठि पाल्हा वि० सं० १४७६ [ तृतीय डीडिलाग्राम के महावीर जिनालय के गोष्ठिक श्रेष्ठि द्रोणी संतानीय प्राग्वाटज्ञातीय श्रे० कुरा के रामदेवी नामा स्त्री की कुक्षी से श्रे० माला का जन्म हुआ था । श्रे० माला की स्त्री जीवलदेवी के पाल्हा नामक यशस्वी पुत्र उत्पन्न हुआ । श्रे० पाल्हा ने वीरवाड़ा में जिनालय बनवाकर वि० सं० १४७५ माघ शु० ११ शनिश्चर को बृहद्गच्छीय पिष्पलाचार्य श्री शांतिस्वरिसंतानीय भ० वीरदेवसूरि के पट्टनायक श्रीवीरप्रभसूरि के करकमलों से श्री आदिनाथप्रतिमा को उसमें महामहोत्सव करके प्रतिष्ठित करवाया । उक्त मन्दिर का मण्डप वि० सं० १४७६ में बनकर पूर्ण हुआ था । मण्डप के पूर्ण होने के शुभोपलक्ष में श्रीमद् वीरप्रभसूरि को तत्वावधानता में श्रे० पाल्हा ने हर्षोत्सव मनाया था |२ उदयपुर मेदपादेशान्तर श्री जावरग्राम में श्रीशांतिनाथजिनालय के निर्माता श्रेष्ठि धनपाल वि० सं० १४७८ मेदपाटनरेश्वर महाराणा मोकलदेव के विजयी राज्यकाल में प्राग्वाटज्ञातीय प्रति प्रसिद्ध श्रावक श्रे० वाना बावरग्राम में रहता था । श्रे० वाना का पुत्र श्रे० रत्नचन्द्र था । रत्नचन्द्र की स्त्री लाखुदेवी महागुणवती एवं १- जै० ले० सं० भा० १ ले० ६६६ । २ श्र० प्र० जै० ले० सं० ले० २७८
SR No.007259
Book TitlePragvat Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatsinh Lodha
PublisherPragvat Itihas Prakashak Samiti
Publication Year1953
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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