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________________ २३२] :: प्राग्वाट-इतिहास:: [द्वितीय वंश-वृक्ष सहवू [गाजीदेवी] मणिभद्र [बाबी] शालिभद्र [थिरमति] सला सलह । वेलक सहरि धवल वेलिग यशोधवल रामदेव ब्रह्मदेव यशोदेव वीरीदेवी । रासदेव रासचन्द्र ठ. नाऊदेवी वि० सं० १२६१ अणहिलपुरपत्तन के महाराज गूर्जरसम्राट भीमदेव द्वि० के विजयराज्यकाल में प्राग्वाटज्ञातीय श्रेष्ठि धवलमह की पुत्री श्राविका ठ० नाऊ ने अपने श्रेयार्थ पं० मुजाल से मुंकुशिका नामक स्थान में श्रीमानतुंगमरि कृत 'श्रीसिद्धजयन्तीचरित्र' नामक ग्रन्थ की वृत्ति, जिसको श्रीबड़गच्छीय भट्टारक मलयप्रभसूरि ने लिखा था वि. सं० १२६१ आश्विन कृ. ७ रविवार को लिखवाकर श्रीमद् अजितदेवसूरि को भक्ति पूर्वक समर्पित की। नाऊदेवी का अपर नाम रत्नदेवी भी था । यह गुण रूपी रत्नों की खान थी; अतः रत्नदेवी कहलाती थी। इसका पाणिग्रहण पत्तनवास्तव्य प्राग्वाटकुलावतंस जैन समाजाग्रगण्य अं० श्रीपाल की सती स्वरूपा पत्नी श्री देदी के कुक्षीं से उत्पन्न द्वि० पुत्र यशोदेव के साथ हुआ था। यशोदेव के बड़े भ्राता का नाम शोभनदेव था। शोभन के सहवदेवी और महणूदेवी नाम की दो पत्नियां थीं । श्रे० शोभन के सोढ़ नामा पुत्री थी ।* श्रेष्ठि धीना वि० सं० १२६६ विक्रम की तेरहवीं शताब्दी में प्राग्वाटज्ञातीय श्रे० धीना एक प्रसिद्ध धनवान् पुरुष हो गया है । उसके पद्मश्री और रामश्री नामा दो स्त्रियाँ थीं। पासचन्द्र नाम का एक पुत्र हुआ । पासचन्द्र के गुणपाल नामक पुत्र ०सं० प्र०भा० ता०प्र०८५ पृ० ५४ (सिद्धजयन्तीचरित्र) जै० सा० सं० इति० पृ० ३४०, ३४३। जै० प्र० सं० प्र०२३६३०२४ (जयन्तीवृत्ति)
SR No.007259
Book TitlePragvat Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatsinh Lodha
PublisherPragvat Itihas Prakashak Samiti
Publication Year1953
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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