SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 329
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १७६ ] :: प्राग्वाट-इतिहास: [द्वितीय ऐतदर्थ अपने वचनों के पालन करने में सदा तत्पर रहनेवाले ये सर्व सज्जन और इन सर्व सज्जनों की आनेवाली परंपरित संतान जहाँ तक सूर्य और चन्द्र जगतीतल पर प्रकाशमान रहे, तहाँ तक सब प्रकार से इस धर्मस्थान की रक्षा करें । शास्त्रों में भी कहा है___ पात्र, कमएडल, वल्कलवस्त्र, श्वेत, लालवस्त्र, जटा आदि के धारण करने से क्या ? उन्नत प्रात्माओं का स्वीकृत कार्य अथवा अपने वचनों का परिपालन करना ही निर्मल अर्थात् सुन्दर व्रत है। तथा महारावल श्री सोमसिंहदेव के द्वारा इस 'श्री लूणसिंहवसति' के श्री नेमिनाथदेव की पूजा-भोग के लिये डवाणीग्राम प्रदान किया गया है। श्री सोमसिंहदेव की प्रार्थना से जब तक सूर्य और चन्द्र प्रकाशमान रहे, तब तक परमारवंश इस प्रतिज्ञा का पालन करता रहेगा। ____ महामात्य वस्तुपाल तेजपाल ने उक्त सर्व कार्यवाही को एक श्वेत संगमरमरप्रस्तर की शिला पर बहुत सुन्दराक्षरों में उत्कीर्णित करवाकर लूणसिंहवसहिका के दक्षिण दिशा में आये हुये प्रवेशद्वार के ऊपर विनिर्मित मण्डप की बाहे हाथ की ओर की दिवार में बने हुये एक गवाक्ष में लगवा दिया है। सम्पूर्ण लेख मात्र तीन श्लोकों के अतिरिक्त गद्य में है। इस शिलालेख के ठीक पास में ही महामात्य भ्राताओं ने एक और दूसरा शिला-लेख लगवाया था, जिसमें सोमेश्वरकृत प्रशस्ति सूत्रधार केल्हण के पौत्र चन्द्रेश्वर ने उत्कीर्णित की है और जिसमें प्रथम सरस्वती की स्तुति और तत्पश्चात् भगवान् नेमिनाथ की वंदना है। तत्पश्चात् अणहिलपुर के मंत्री भ्राताओं के वंश का और उनके यश का, चौलुक्यवंश तथा चंद्रावती के परमार राजाओं का, अनुपमा के पितृवंश का, नेमनाथचैत्य का, मंत्री भ्राताओं के पुण्यकर्मों का, गुरुवंश का वर्णन दिया गया है। यह शिला-लेख एक काले प्रस्तर पर अत्यन्त सुन्दराक्षरों में उत्कीर्णित किया गया है ।* इस प्रतिष्ठोत्सव के पश्चात् भी निर्माण-कार्य यथावत् चालू रहा और निम्न प्रकार देवकुलिकायें बन कर तैयार हुई। मं० मालदेव और उसके परिवार के श्रेयार्थःदेवकुलिकाओं की क्रम-संख्या किसके श्रेयार्थ किस विंब की स्थापना किस संवत् में पहली मं० मालदेव की पुत्री सद्मलदेवी । १२८८ मं० मालदेव के पुत्र पुण्यसिंह की स्त्री आल्हणदेवी १२८८ तीसरी मं० मालदेव की द्वि० भार्या प्रतापदेवी १२८८ चौथी मं० मालदेव की प्र० भार्या लीलादेवी पांचवीं मं० मालदेव के पुत्र पुण्यसिंह का पुत्र पेथड़ १२८८ छट्ठी मं० मालदेव का पुत्र पुण्यसिंह १२८८ सातवीं मं० मालदेव १२८८ आठवीं मं० पुण्यसिंह की पुत्री वलालदेवी १२८८ मं० वस्तुपाल और उसके परिवार के श्रेयार्थःबैयालीसवीं मं० वस्तुपाल की द्वि० स्त्री सोखुकादेवी १२८८ दूसरी rr UUUUU UUUUUU कप० प्रा० ० ले०सं० ले०२५०, २५१ पृ०६२ से १७६ .
SR No.007259
Book TitlePragvat Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatsinh Lodha
PublisherPragvat Itihas Prakashak Samiti
Publication Year1953
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy