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:: प्राग्वाट-इतिहास:
रहेगा। इतिहास लिखाने में जो और जितना व्यय होगा वह करने का पूर्ण स्वातन्त्र्य उक्त समिति को जनरलकमेटी पूर्ण अधिकार देकर अर्पित करती है । . तत्पश्चात् वि० सं० २००३ में सुमेरपुर में ही पुनः सभा का चतुर्थ अधिवेशन हुआ। उस समय उक्त समिति ने अपनी बैठक की। श्री ताराचन्द्रजी वि० सं० २००० से ही इतिहास लिखाने का निश्चय कर चुके थे;
अतः उन्होंने जो तत्सम्बन्धी कार्य उस समय तक किया था, उस पर समिति ने विचार समिति के कार्य का विवरण: किया और आगे के लिये जो करना था, उस पर भी विचार करके उसने अपना एक विवरण और योजना तैयार की और उसको समिति के पाँचों सदस्यों के हस्ताक्षरों से युक्त करके जनरल-कमेटी के समक्ष निम्न प्रकार रक्खी।
_ वि० सं० २००१ में हुये सभा के द्वितीय अधिवेशन के अवसर पर इतिहास-लेखन का प्रस्ताव स्वीकृत होने के एक वर्ष पूर्व से ही इतिहाससम्बन्धी साधन-सामग्री एकत्रित करने का कार्य चालू कर दिया गया था
और फलस्वरूप आज लगभग १२५ पुस्तकों का संग्रह हो चुका है। इस इतिहास के लिये जो पुस्तकें चाहिए वे साधारण पुस्तक विक्रेताओं के यहाँ नहीं मिलती हैं। उनको संग्रहित करने में देश-विदेश के बड़े २ पुस्तकालयों से पत्र-व्यवहार करना अपेक्षित है और देश के बड़े २ अनुभवशील इतिहासकार एवं पुरातत्त्ववेत्ताओं से मिलना तथा इसके सम्बन्ध में परामर्श, विचार करना अत्यावश्यक है। इतिहास का लिखाना कोई साधारण कार्य नहीं है; अतः समय अधिक लग सकता है, समयाधिक्य के लिये क्षमा करें ।
समिति के प्रधान श्री ताराचन्द्रजी इतिहास लिखाने के लिए योग्य लेखक की शोध में पूर्ण प्रयत्न कर रहे. हैं। दो-चार सज्जन लेखकों के नाम भी समिति के पास में आये हैं, परन्तु अभी तक लेखक का निश्चय नहीं किया गया है । अब थोड़े ही दिनों में योग्य लेखक की नियुक्ति की जाकर इतिहास का लिखाना प्रारम्भ करवा दिया जायगा । इतिहास लिखाने में होने वाले व्यय के भार को सहज बनाने के लिये निम्नवत् आर्थिक योजना प्रस्तुत की जाती है, आशा है वह सर्वानुमति से स्वीकृत हो सकेगी।
यह समिति अपन प्राग्वाटज्ञातीय बन्धुओं से प्रार्थना करती है कि अगर वे अपने पूर्वजों की कीर्ति, पराक्रम में अपना गौरव समझते हैं तो हमारी वे तन, मन, धन से पूर्ण सहायता करें। व्यय के निर्वाह के लिये प्रथम १५० डेढ सौ फोटू (प्रत्येक फोटू का मूल्य रु. १०१)) मंडाना निश्चित किया है । वैसे इतिहास-लेखन का व्यय एक ही श्रीमन्त प्रतिष्ठित समाजप्रेमी व्यक्ति भी कर सकता है, परन्तु समाज का कार्य समाज से ही होता है और वह अधिक सुन्दर, उपयोगी होता है। इस दृष्टि को ध्यान में रखकर डेढ सौ १५० फोटू मंडाना निश्चित किया है। यदि कोई महानुभाव फोटू के मूल्य से अधिक रकम प्रदान करके किसी अन्य रूप से सेवालाभ लेना चाहे तो वह अतिरिक्त रकम इतिहास के पुस्तकालय में अर्पण करके अथवा ज्ञानखाते में देकर यशलाभ प्राप्तकर अब तक १४ चौदह फोटू लिखवाये जा चुके हैं और उनका मूल्य भी आ चुका है। समिति ने एक पंडितजी को भी वि० सं० २००२ आश्विन शु० १२ शनिश्वर तदनुसार सन् १९४५ जुलाई २१ से आधे दिन की सेवा पर नियुक्त किया है, जिनका मासिक वेतन ५०) रुपया है । पंडितजी का कार्य संग्रहित पुस्तकों को पढ़ने का और उनमें से इतिहास-सम्बन्धी सामग्री को एकत्रित करने का है। पंडितजी का वेतन, पुस्तकों का क्रय और डाक तथा रेल-व्यय आदि पर अब तक रु० ८५०) व्यय हो चुके हैं । अब तक किये गये कार्य का संक्षेप में यह विवरण