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________________ :: शाह ताराचन्द्रजी [ १५ जैसा पूर्व श्राचार्यश्री के परिचय में लिखा जा चुका है कि वि० सं० २००० में चातुर्मास पश्चातू जब आचार्य श्रीमद् विजययतीन्द्रसूरिजी बागरा में बिराजमान थे, आप उनके दर्शनार्थ वहां आये थे । प्रसंगवश प्राग्वाट इतिहास की रचना गुरुदेव ने आपका और अन्य प्राग्वाटज्ञातीय सज्जनों का ध्यान ज्ञातीय इतिहास के और आपका उससे संबंध महत्त्व की ओर आकृष्ट किया और आपको प्राग्वाटज्ञाति का इतिहास लिखाने की तथा वि० सं० २००१ में प्रेरणा दी ! इस सदुपदेश से आपके अंतर में रहा हुआ ज्ञाति का गौरव जाग्रत हो श्री प्राग्वाट संघ सभा का द्वितीय अधिवेशन और उठा और आपने गुरुदेव के समक्ष प्राग्वाट - इतिहास लिखाने का प्रस्ताव सहर्ष स्वीकृत प्राग्वाट - इतिहास लिखवाने कर लिया। उसी दिन से आपके मस्तिष्क के अधिकांश भाग को प्रावाटज्ञाति के इतिहास-लेखन के विषय ने अधिकृत कर लिया। गुरुदेव और आपमें इस विषय पर का प्रस्ताव. निरंतर पत्र-व्यवहार होता ही रहा । श्री ' पौरवाड़ - संघ सभा' का द्वितीय अधिवेशन वि० सं० २००१ माघ कृष्णा ४ को 'श्री वर्द्धमान जैन बोर्डिंग आपने इतिहास लिखने का प्रस्ताव सभा के समक्ष रक्खा और वह करके इतिहास लिखाने के लिये निम्न प्रकार समिति बनवा कर हाउस', सुमेरपुर के विशाल भवन में हुआ । सहर्ष स्वीकृत हुआ तथा सभा ने प्रस्ताव पास उसको तत्संबंधी सर्वाधिकार प्रदान किये । प्रस्ताव ! वि० सं० २००१ माघ कृष्णा ४ को स्थान सुमेरपुर, श्री वर्द्धमान जैन बोर्डिंग हाऊस में श्री पौरवाड़-संघसभा के द्वितीय अधिवेशन के अवसर पर श्रीमान् शाह ताराचन्द्रजी मेघराजजी पावानिवासी द्वारा रक्खा गया प्राग्वाटज्ञाति के इतिहास को लिखाने का प्रस्ताव यह सभा सर्वसम्मति से स्वीकृत करती है और यह विचार करती हुई कि वर्तमान संतान एवं भावी संतानों को स्वस्थ प्रेरणा देने के लिए प्राग्वाटज्ञातीय पूर्वजों का इतिहास लिखा जाना चाहिए, जिससे संसार की दृष्टि में दिनोदिन गिरती हुई प्राग्वाटज्ञाति अपने गौरवशाली पूर्वजों का उज्ज्वल इतिहास पढ़कर अपने प्रस्तमित होते हुये सूर्य को पुनः उदित होता हुआ देखे और वह संसार में अपना प्रकाश विस्तारित करे आज माघ कृष्णा ४ को प्राग्वाट - इतिहास के लेखन कार्य को कार्यान्वित करने के लिए स्वीकृत प्रस्ताव के अनुसार श्री पौरवाड़ - संघ-सभा की जनरल कमेटी अपनी बैठक में चुनाव द्वारा एक समिति का निम्नवत् निर्माण करती है । १ – शाह ताराचन्द्रजी मेघराजजी, २- " सागरमलजी नवलाजी, कुन्दनमलजी ताराचन्द्रजी, 99 ४ -, मुलतानमलजी संतोषचन्द्रजी, हिम्मतमलजी हंसाजी, पावा प्रधान नालाई सदस्य बाली 19 11 बिजापुर " ५— " उक्त पाँच सज्जनों की समिति बनाकर उसका श्री प्राग्वाट इतिहास - प्रकाशक- समिति नाम रक्खा जाता है। तथा उसका कार्यालय सुमेरपुर में खोला जाना निश्चित करके ननरल - कमेटी उक्त समिति को इतिहास-लेखन -- सम्बन्धी व्यवस्था करने, कराने का सर्वाधिकार देती है तथा आग्रह करती है कि इतिहास लिखाने का कार्य तुरंत चालू करवाया जाय । इस कार्य के लिये जो आर्थिक सहायता अपेक्षित होगी, उसका भार श्री पौरवाड़ संघ-सभा पर 17
SR No.007259
Book TitlePragvat Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatsinh Lodha
PublisherPragvat Itihas Prakashak Samiti
Publication Year1953
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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