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________________ " गदसरि :: विषय-सूच: - विषय पृष्ठांक विषय पृष्ठीक सागरपक्ष की उत्पत्ति और पं० राम आपश्री द्वारा प्रतिष्ठित कुछ मंदिर और विजयजी को प्राचार्यपद ३४४ कुछ प्रतिमाओं का विवरण ३५६ विजयतिलकसूरिजी का शिकंदरपुर में । श्रीमद् उपाध्याय वृद्धिसागरजी ३५७ पदार्पण ३४५ । अंचलगच्छीय मुनिवर मेघसागरजी , बादशाह जहांगीर का दोनों पक्षों में मेल श्रीमद् पुण्यसागरसरि ३५८ करवाना श्री लोंकागच्छ-संस्थापक श्रीमान् लोकाशाह स्वर्गारोहण माता-पिता का स्वर्गवास . तपागच्छीय श्रीमद् विजयाणंदमुरि अहमदाबाद में जाकर बसना और वहाँ वंश-परिचय और दीक्षा राजकीय सेवा करना ३५६ पंडितपद और आचार्यपद की प्राप्ति , लोकाशाह द्वारा लहिया का कार्य और विजयाणंदमुरि की संक्षिप्त धर्म-सेवा और जीवन में परिवर्तन स्वर्गगमन ३४७ जैनसमाज में शिथिलाचार और लोकाशाह तपाच्छीय श्रीमद् भावरत्नसूरि का विरोध ३६० , विजयमानसूरि ३४८ लोकागच्छ की स्थापना ३६१ " ,, विजयऋद्धिसरि अमूर्तिपूजक आन्दोलन । लोकाशाह का . " , कपरविजयगणि स्वर्गवास घंश-परिचय, जन्म और माता-पिता का लोकागच्छीय पूज्य श्रीमल्लजी स्वर्गवास ३४६ लोकागच्छीय पूज्य श्री संघराजजी , गुरु का समागम, दीक्षा और पण्डितपद। ऋषिशाखीय श्रीमद् सोमजी ऋषि ३६३ की प्राप्ति श्री लीमड़ी-संघाड़ा के संस्थापक श्री अजराविहारक्षेत्र और स्वर्गवास मरजी के प्रदादागुरु श्री इच्छाजी तपागच्छीय पं० हंसरत्न और कविवर पं० श्री पार्श्वचंद्रगच्छ-संस्थापक श्रीमद् पार्श्वउदयरल ३५० चन्द्रसूरि हंसरत्न वंश-परिचय उपाध्याय उदयरत्न दीक्षा और उपाध्यायपद तपागच्छीय श्रीमद् विजयलक्ष्मीसरि ३५२ क्रियोद्धार और सरिपद अंचलगच्छीय श्रीमद् सिंहप्रभसरि पार्श्वचन्द्रगच्छ की स्थापना " श्रीमद् धर्मप्रभसरि ३५४ अनेक कुलों को जैन बनाना , श्रीमद् मेरुतुङ्गसरि । लोकमत और पाचचन्द्रपरि वंश-परिचय ३५५ पार्श्वचन्द्रपरि और उनका साहित्य उमरकोट में प्रतिष्ठा युगप्रधानपद की प्राप्ति और देहत्याग ३६६ ३५१ ३५३
SR No.007259
Book TitlePragvat Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatsinh Lodha
PublisherPragvat Itihas Prakashak Samiti
Publication Year1953
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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