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विषय
:: प्राम्बाट - इतिहास ::
पृष्ठीक
तपागच्छाधिराज आचार्य श्रेष्ठि श्रीमद् सोमत कसूर
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श्री तपागच्छाधिराज श्रीमद् सोमसुन्दरसूरि वंश - परिचय
पुत्र सोम का जन्म
सोम की दीक्षा
बालमुनि सोमसुन्दर का विद्याध्ययन और गणपद तथा वाचकपद की प्राप्ति मेदपादेश में विहार गुरुदेव सुन्दरसूरि का स्वर्गवास और गच्छपतिपद की प्राप्ति तथा मोटा ग्राम में श्री मुनिसुन्दरवाचक को सूरिपद प्रदान करना
३२८
० गोविन्द का श्री गच्छपति की निश्रा में आचार्यपदोत्सव का करना और तत्पश्चात् शत्रुंजय, गिरनार, तारंगतीर्थों की संघयात्रा और अन्य धर्मकार्यो का करना ३२६
देवकुलपाटक में श्री भुवनसुन्दरवाचक को रिपद देना
कर्णावती में पदार्पण और श्रे० आम्र की दीक्षा
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३२६
गच्छपति के साथ में सं० गुणराज की शत्रुंजय महातीर्थ की संघयात्रा
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३२७
३३०
आप श्री की तत्त्वावधानता में श्रे० वीशल और उसके पुत्र चंपक ने कई पुण्यकार्य किये
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३३१
श्री राणकपुरतीर्थ-धरणविहार की प्रतिष्ठा ३३२ आप श्री के द्वारा किये गये विविध धर्म - कृत्यों का संक्षिप्त परिचय
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विषय
श्री तपागच्छाधिराज श्रीमद् हेमविमलसूरि वंश-परिचय और दीक्षा तथा आचार्यपद ३३५ सूरिमंत्र - शाधना
३३६
नंद विमलमुनि को श्राचार्यपद
कपड़वंज ग्राम में प्रवेशोत्सव और बादशाहको
अन्य प्रतिष्ठित कार्य और आपकी शुद्ध क्रियाशीलता का प्रभाव
विमल शाखा
कड़वामती
बीजामती
पार्श्वचन्द्रगच्छ
स्वर्गारोहण
पृष्ठांक
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३३७
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तपागच्छीय श्रीमद् सोमविमलसूरिं वंश - परिचय, दीक्षा और प्राचार्यपद गच्छाधीशपद की प्राप्ति
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अन्य चातुर्मास व गच्छ की विशिष्ठ सेवा ३३६ स्वर्गारोहण और आपका महत्व तपागच्छीय श्रीमद् कल्याणविजयगणि
वंश परिचय और प्रसिद्ध पुरुष थिरपाल ३४० कल्याणविजयजी का जन्म और दीक्षा स्वाध्याय और वाचकपद की प्राप्ति अलग विहार और धर्म की सेवा
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३४१
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तीर्थ की यात्रा और सोनपाल की दीक्षा और उनका स्वर्गारोहण
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अन्यत्र विहार और सूरीश्वर का पत्र सूरीश्वर से भेंट और विराटनगर में प्रतिष्ठा ३४२ तपागच्छीय श्रीमद् हेमसोमसूरि
वंश - परिचय, दीक्षा और आचार्यपद तपागच्छीय श्रीमद् विजय तिलकसूरि वंश - परिचय और दीक्षा
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