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:: प्राग्वाट-इतिहास::
विषय
पृष्ठांक महाकवि का साहित्यिक स्थान ३७६
महाकवि का गार्हस्थ्य-जीवन न्यायोपार्जित द्रव्य का सद्व्यय करके जैनवाङ्गमय की सेवा करने वाले प्रा० ज्ञा० सद्गृहस्थश्रेष्ठि धीणा
३८. श्रेष्ठि सज्जन और नागपाल और उनके प्रतिष्ठित पूर्वज
३८१ श्रेष्ठि सेवा- -
श्रे० शुभंकर और उसका पौत्र यशोधन ३८३ श्रे० बाढ़ और उसके पुत्र दाहड़ का परिवार ,
श्रे० सोलाक और उसका विशाल परिवार ३८४ श्रेष्ठि गुणधर और उसका विशाल परिवार ३८६ श्रेष्ठि हीरा
३८८
श्रेष्ठि हलण
विषय
पृष्ठांक | खरतरगच्छीय कविवर श्री समयसुन्दर
कविवर समयसुन्दर और उनका समय तथा वंश और गुरुपरिचय ३६७ आपकी कृतियों में संस्कृत की कृतियाँ ३६८ कवि ने गूर्जरभाषा में अनेक ढाल, स्तवन देशियाँ, रास, काव्य, गीत रचे , आपकी विविध कवितायें
३६६ विविध काव्य, गीत कविवर का विहारक्षेत्र एवं चातुर्मास और विविध प्रांतीय भाषाओं से परिचय , कविवर का साहित्यसेवियों में स्थान ३७१ कविवर का शिष्यसमुदाय और स्वर्गारोहण
३७२ श्री पूर्णिमामच्छाधिपति श्रीमद् महिमाप्रभसूरि ।
वंश-परिचय विद्याभ्यास और दीक्षा सरिपद की प्राप्ति
आपश्री के कार्य और स्वर्गवास श्री कडुआमतीगच्छीय श्री खीमाजी श्री साहित्यक्षेत्र में हुये महाप्रभावक विद्वान् एवं । महाकविगणकविकुलभूषण कवीश्वर धनपाल वंश-परिचय
३७४ कवि धमपालकृत 'बाहुबलि-चरित्र' विद्वान् चण्डपाल गर्भश्रीमंत कवीश्वर ऋषभदास
कवि का समय कवि का वंश-परिचय, पितामह संघवी महिराज और पिता सांगण ३७६ महाकवि ऋषभदास और उनकी दिनचर्या ३७७ ऋषभदास की कवित्वशक्ति और रचनायें ,
३६.
श्रेष्ठि देदा श्रेष्ठि चाण्डसिंह का प्रसिद्ध पुत्र पृथ्वीभट ३८६ महं विजयसिंह श्राविका सरणी
, वीझी और उसके भ्राता श्रेष्ठि जसा । और डुङ्गर श्रेष्ठि स्थिरपाल
३६१ , बोड़क के पुत्र
३६३ सुप्रसिद्ध श्रावक सांगा गांगा और उनके प्रतिष्ठित पूर्वज
३६४ श्रेष्ठि अभयपाल , लींवा
३६५ श्राविका साऊदेवी श्रेष्ठि महणा श्राविका स्याणी
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३६६
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आसलदेवी
३६७