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:: प्राग्वाट - इतिहास ::
पृष्ठीक
विषय
पद्मसिंह का ज्येष्ठ पुत्र यशोराज और उसका
परिवार
प्रह्लादन
सज्जना
मोहिणी के पुत्र सोहिय और सहजा का परिवार, राणक और उसका परिवार और सुहड़ादेवी का 'पर्युषण-कल्प का लिखाना
का
श्रेष्ठि वोसिरि श्रादि
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न्यायोपार्जित स्वद्रव्य को मंदिर और तीर्थों के निर्माण और जीर्णोद्धार के विषयों में व्यय करके धर्म की सेवा करने वाले प्रा० ज्ञा० सद्गृहस्थ
श्री ज्ञान-भंडार - संस्थापकधर्मवीर नरश्रेष्ठ श्रेष्ठि पेथड़ और उसके यशस्वी वंशज डङ्गर, पर्वतादि
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पेड़ के पूर्वज और अनुज
पेड़ का संडेरकपुर को छोडकर बीजापुर का बसाना और वहाँ निवास करना पेथड़ और उसके भ्राताओं द्वारा अर्बुदस्थ लूणवसहिका का जीर्णोद्धार तीर्थ-यात्रायें और विविध क्षेत्रों में धर्मकृत्य तथा चार ज्ञान-भंडारों की स्थापना पेड़ का परिवार और सं० मंडलिक महायशस्वी इङ्गर और पर्वत तथा कान्हा
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और उनके पुण्य कार्य
पर्वत, डुङ्गर और उनका परिवार पर्वत और डङ्गर के धर्मकृत्य
पर्वत और कान्हा के सुकृतकार्य
श्री मुण्डस्थल महातीर्थ में श्री महावीर - जिना -
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तृतीय खण्ड
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विषय
श्रेष्ठि नारायण
वरसिंह
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सिंहावलोकन
भारत में द्वितीय धर्मक्रांति
धार्मिक जीवन
सामाजिक जीवन और आर्थिक स्थिति
साहित्य और शिल्पकला राजनैतिक स्थिति
पृष्ठांक
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लय का जीर्णोद्धार कराने वाला कीर्त्तिशाली श्रेष्ठि श्रीपाल
सिरोही - राज्यान्तर्गत कोटराग्राम के जिनालय के निर्माता श्रेष्ठ सहदेव वीरवाड़ाग्राम के श्री आदिनाथ जिनालय के निर्माता श्रेष्ठ पाल्हा
उदयपुर मेदपाटदेशान्तर श्री जावरग्राम में श्री शांतिनाथ - जिनालय के निर्माता श्रेष्ठि धनपाल
बालदाग्राम के जिनालय के निर्माता प्राग्वाटज्ञातीय बंभदेव के वंशज पंडितप्रवर लक्ष्मणसिंह श्रेष्ठि हीसा और धर्मा वीरप्रसवनी मेदषाभूमीय गौरवशाली श्रेष्ठवंश -
श्री धरणविहार- राणकपुरतीर्थ के निर्माता ० सं० धरणा और उसके ज्येष्ठ भ्राता श्रे० सं० रत्ना
सं० सांगण और उसका पुत्र कुरपाल २६२ सं० रत्ना और सं० धरणाशाह
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