SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 123
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६० ] :: प्राग्वाट - इतिहास :: पृष्ठीक विषय पद्मसिंह का ज्येष्ठ पुत्र यशोराज और उसका परिवार प्रह्लादन सज्जना मोहिणी के पुत्र सोहिय और सहजा का परिवार, राणक और उसका परिवार और सुहड़ादेवी का 'पर्युषण-कल्प का लिखाना का श्रेष्ठि वोसिरि श्रादि २३४ न्यायोपार्जित स्वद्रव्य को मंदिर और तीर्थों के निर्माण और जीर्णोद्धार के विषयों में व्यय करके धर्म की सेवा करने वाले प्रा० ज्ञा० सद्गृहस्थ श्री ज्ञान-भंडार - संस्थापकधर्मवीर नरश्रेष्ठ श्रेष्ठि पेथड़ और उसके यशस्वी वंशज डङ्गर, पर्वतादि 19 २३५ पेड़ के पूर्वज और अनुज पेड़ का संडेरकपुर को छोडकर बीजापुर का बसाना और वहाँ निवास करना पेथड़ और उसके भ्राताओं द्वारा अर्बुदस्थ लूणवसहिका का जीर्णोद्धार तीर्थ-यात्रायें और विविध क्षेत्रों में धर्मकृत्य तथा चार ज्ञान-भंडारों की स्थापना पेड़ का परिवार और सं० मंडलिक महायशस्वी इङ्गर और पर्वत तथा कान्हा "" और उनके पुण्य कार्य पर्वत, डुङ्गर और उनका परिवार पर्वत और डङ्गर के धर्मकृत्य पर्वत और कान्हा के सुकृतकार्य श्री मुण्डस्थल महातीर्थ में श्री महावीर - जिना - २४६ "9 २३६ तृतीय खण्ड २५१ 11 २५२ २५३ २५४ विषय श्रेष्ठि नारायण वरसिंह " २५५ 13 सिंहावलोकन भारत में द्वितीय धर्मक्रांति धार्मिक जीवन सामाजिक जीवन और आर्थिक स्थिति साहित्य और शिल्पकला राजनैतिक स्थिति पृष्ठांक २३७ 13 २३८ २३६ २४० २४३ २४४ लय का जीर्णोद्धार कराने वाला कीर्त्तिशाली श्रेष्ठि श्रीपाल सिरोही - राज्यान्तर्गत कोटराग्राम के जिनालय के निर्माता श्रेष्ठ सहदेव वीरवाड़ाग्राम के श्री आदिनाथ जिनालय के निर्माता श्रेष्ठ पाल्हा उदयपुर मेदपाटदेशान्तर श्री जावरग्राम में श्री शांतिनाथ - जिनालय के निर्माता श्रेष्ठि धनपाल बालदाग्राम के जिनालय के निर्माता प्राग्वाटज्ञातीय बंभदेव के वंशज पंडितप्रवर लक्ष्मणसिंह श्रेष्ठि हीसा और धर्मा वीरप्रसवनी मेदषाभूमीय गौरवशाली श्रेष्ठवंश - श्री धरणविहार- राणकपुरतीर्थ के निर्माता ० सं० धरणा और उसके ज्येष्ठ भ्राता श्रे० सं० रत्ना सं० सांगण और उसका पुत्र कुरपाल २६२ सं० रत्ना और सं० धरणाशाह २५७ २५८ 17 11 २५६ २६० २६१ 19
SR No.007259
Book TitlePragvat Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatsinh Lodha
PublisherPragvat Itihas Prakashak Samiti
Publication Year1953
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy