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________________ प्राग्वाट-इतिहास: पृष्ठांक विषय पृष्ठांक विषय . कुमारदेवी का स्वर्गारोहण और वस्तुपाल का धवलक्कपुर में वसना ११५ धवलक्करपुर की राजसभा में वस्तुपाल तेजपाल को निमंत्रण और वस्तुपाल द्वारा महामात्यपद तथा तेजपाल द्वारा दंडनायकपद को ग्रहण करना ११६ धवलक्कपुर में अभिनवराजतंत्र की स्थापना ११८ मंत्री भ्राताओं का अमात्य कार्य महामात्य का प्राथमिक कार्य ११६ सौराष्ट्रविजय का उद्देश्य और अराजकता का अन्त १२० खंभात के शासक के रूप में महामात्य वस्तुपाल और लाट के राजा शंख के साथ वस्तुपाल का युद्ध तथा खंभात में महामात्य के अनेक सार्वजनिक सर्वहितकारी कार्य- १२२ दण्डनायक तेजपाल के हाथों गोधापति घोघुल की पराजय १२५ मालवा, देवगिरि और लाट के नरेशों का संघ और लाटनरेश शंख की पूर्ण पराजय , धवलक्कपुर में महामात्य का प्रवेशोत्सव । १२८ खंभात को पुनर्गमन । वेलाकुलप्रदेश के शत्रुओं का दमन तथा खम्भात में अनेक धर्मकृत्यों का करना सिद्धाचलादितीर्थों की प्रथम संघयात्रा और • महामात्य की अमूल्यतीर्थ-सेवायें संघयात्रा का विचार संघ का वैभव तथा उसका प्रयाण १३० महामात्य वस्तुपाल का राज्य-सर्वेश्वरपद से अलंकृत होना भद्रेश्वर नरेश भीमसिंह पर विजय १३५ ।। महामात्य वस्तुपाल का मरुधरदेश में आगमन और पुण्यकार्य १३६ राज्य-व्यवस्था और गुप्तचर-विभाग का । विशेष वर्णन धवलक्कपुर का वैभव और महामात्य का व्यक्तित्व - १३६ मंत्री भ्राताओं की दिनचर्या १४० यवनसैन्य के साथ युद्ध और उसकी पराजय १४१ दिल्ली के बाहशाह के साथ संधि और दिल्ली के दरबार में महामात्य का सम्मानबादशाह अल्तमश को गुजरात पर आक्रमण करने के लिये समय का नहीं मिलना १४२ श्रेष्ठि पूनड़ का स्वागत बादशाह की वृद्धामाता की हजयात्रा और । महामात्य का उसको प्रसन्न करना और दिल्ली तक पहुँचाने जाना महामात्य का बादशाह के दरबार में स्वागत और स्थायी संधि का होना १४३ बाहरी आक्रमणों का अंत और अभिनवराजतंत्र के उद्देश्यों की पूर्तिवि० सं० १२८८ में सिंघण का द्वितीय आक्रमण और स्थायी संधि | १४४ दिल्लीपति और सिंघण के साथ हुई संधियों का मालवपति पर प्रभाव लाटनरेश शंख का अंत और लाट का । गूर्जरभूमि में मिलाना मंत्रीभ्राताओं के शौर्य का संक्षिप्त । सिंहावलोकन महामात्य की नीतिज्ञता से गृहकलह का उन्मूलन
SR No.007259
Book TitlePragvat Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatsinh Lodha
PublisherPragvat Itihas Prakashak Samiti
Publication Year1953
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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