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: विषय-सूची:
१६६
विषय
पृष्ठांक राणक वीरधवल का स्वर्गारोहण और वीशलदेव का राज्यारोहण तथा वीरमदेव का अंत
१४५ वीशलदेव की सार्वभौमता और डाहलेश्वर का दमन
१४६ महामात्य का पदत्याग और उसका स्वर्गारोहण१४७ मंत्रीभ्राताओं का अद्भुत वैभव और उनकी साहित्य एवं धर्मसंबंधी महान् सेवायेंभोजन-विभाग
१५२ निजी सैनिक विभाग साहित्य-विभाग और महामात्य के नवरत्नसोमेश्वर
१५३ हरिहर, मदन, सुभट्ट, नानाक, अरिसिंह, पान्हण
१५४ जाल्हण, शोभन समाश्रित आचार्य, साधु और उनका साहित्यविजयसेनसरि, उदयप्रभसूरि, अमरचन्द्रसूरि, नरचन्द्रसरि नरेन्द्रप्रमपरि, बालचन्द्रसरि, जयसिंहसरि,
माणिक्यचन्द्रसूरि, जिनभद्रसूरि १५६ धार्मिक विभाग और मंत्रीम्राताओं के द्वारा विनिर्मित धर्मस्थान और उनकी प्रागम-सेवायें
धार्मिक-विभाग ... ---------- १५७ संघयात्रा की सामग्री -
महामात्य वस्तुपाल की तीर्थयात्रायें १६२ मंत्रीभ्राता और उनका परिवार
लूणिग और उसकी स्त्री लूणादेवी १६३ मल्लदेव और उसकी दोनों स्त्रियाँ ललितादेवी, प्रतापदेवी व पुत्र पुण्यसिंह , वस्तुपाल और उसकी दोनों स्त्रियाँ ललितादेवी और वेजलदेवी
विषय
पृष्ठांक जैत्रसिंह या जयंतसिंह
१६५ तेजपाल और उसकी स्रियाँ अनुपमादेवी और सुहड़ादेवी लूणसिंह और उसका सौतेलामाता सुहड़सिंह१६७ सप्त भगिनियाँ तथा वयजू १६८
पद्मा का कुछ जीवन-परिचय प्राग्वाटवंशावतंस मंत्रीभ्राताओं का प्राचीन गूर्जर-मंत्री-वंश-वृक्ष ..
१६६ प्राग्वाटवंशावतंस मंत्रीभ्राताओं के श्री नागेन्द्रगच्छीय कुलगुरुओं की परंपरा १७० स्त्रीरत्न अनोपमा के पिता चंद्रावतीनिवासी ठ. धरणिग का प्रतिष्ठित-वंश
" अनन्य शिल्पकलावतार अर्बुदाचलस्थ श्री लूणसिंहवसतिकाख्य श्री नेमिनाथ-जिनालय
वसहि का निर्माण और प्रतिष्ठोत्सव १७१ व्यवस्थापिका समिति
१७३ मंत्रीभ्राताओं द्वारा विनिर्मित लूणसिंहवसतिहस्तिशाला
१७८ श्री अर्बुदगिरितीर्थार्थ श्री मंत्रीभ्राताओं की संघयात्रायें
१७६ श्रे० साजण
१८० श्रे० कुमरा
१८१ श्रा० रनदेवी
१८२ श्रे० श्रीधरपुत्र अभयसिंह तथा श्रे० गोलण समुद्धर श्रे० पाल्हण ठ० सोमसिंह और श्रे० आंबड़ १८४ श्रे० उदयपाल
दंडनायक तेजपाल की अन्तिम यात्रा १८६ अनन्य शिल्पकलावतार अर्बुदाचलस्थ श्री लूणसिंहवसतिकाख्य श्री नेमिनाथ-जिनालय
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