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पृष्ठांक विमलवसति का जीर्णोद्धार
देवकुलिकायें और उनके गुम्वजों में, द्वारचतुष्कों में, महामात्य धनपाल और उसका जेष्ठ भ्राता गालाओं में, स्तम्भों में खुदे हुये कलात्मक चित्रों जगदेव तथा धनपालद्वारा हस्तिशाला में का परिचय तीन हाथियों की संस्थापना ७८ मंत्री पृथ्वीपाल द्वारा विनिर्मित विमलवसतिधनपाल द्वारा श्री विमलवसतिकातीर्थ में हस्तिशाला-- सपरिवार प्रतिष्ठादि धर्मकृत्यों का करवाना ,,
धनपाल द्वारा विनिर्मित तीन हस्ति धनपाल की स्त्री रूपिणी तथा जगदेव और
गूर्जरसम्राट भीमदेव प्रथम का व्ययकरणमंत्री उसकी स्त्री द्वारा जीर्णोद्धारकार्य
प्राग्वाटज्ञातीय जाहिल--
१०० नाना और उसका परिवार तथा उनके द्वारा
महत्चम नरसिंह और उसका पुत्र महाकवि प्रतिष्ठा-जीर्णोद्धारकार्य
दुलेमराज मंत्री लालिग का परिवार और उसके यशस्वी
नाडोलनिवासी सुप्रसिद्ध प्राग्वाटज्ञातीय श्रे० पौत्र हेमरथ, दशरथ
शुभंकर के यशस्वी पुत्र पूतिग और शालिग--: लालिग और उसका पुत्र महिंदुक ७६
रत्नपुर के शिवालय में अभयदानलेख १.१ हेमरथ और दशरथ और उनके द्वारा दशवीं ।
किराड़ के शिवालय में अभयदानलेख १०२ देवकुलिका का जीर्णोद्धार और उसमें जिनविंध और पूर्वजपट्ट की स्थापना
नाडोलवासी प्राग्वाठज्ञातीय महामात्य सुकर्मा , ,
महप्रकनिवासी महामना श्रे हांसा और श्रीमालपुरोत्थ प्राग्वाट-वंशावतंस प्राचीन ।
उसका यशस्वी पुत्र श्रे• जगडू
१०३ गूर्जर-मंत्री-कोष्टक श्रीमालपुरोत्थ प्राग्वाट-वंशावतंस प्राचीन गूर्जर
मंत्री भ्राताओं का गौरवशाली गूर्जर-मंत्री-वंशमंत्री-वंश-वृक्ष
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गूर्जर महामात्य चंडप और मुद्राव्यापारमंत्री अनन्य शिल्पकलावतार अर्बुदाचलस्थ श्री बिमल- चण्डप्रसाद
१०५ वसतिकाख्य श्री आदिनाथ-जिनालय
स्वाभिमानी कोषाधिपति मंत्री सोम देलवाड़ा और उसका महत्व - ८३
मंत्री अश्वराज और उसका परिवारटेकी पर पांच जैनमंदिर और उनमें विमल
सीता और उसका पुत्र अश्वराज १०७ वसहिका
अश्वराज का माईस्थ्य-जीवन १०६ परिकोष्ट और सिंहद्वार
बस्तुपाल के महामात्य बनने के पूर्व गुजरातमूलगंभारा और गूढमएडप और उनकी सादी मालवपति सुभटवर्मा का आक्रमण ११३ रचमा में विमलशाह की प्रशंसनीय विवेकता ८४ पत्तन की पुनः प्राप्ति, अर्जुनवर्मा की मृत्यु, गूढमण्डप का द्वार और नवचौकिया
देवपाल की पराजय रङ्गमण्डप और उसके दृश्यों का वर्णन
धवलक्कपुर की बाघेलाशाखा और उसकी । भ्रमती और उसके दृश्य
उन्नति
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