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________________ ५४ ] :: प्राग्वाट - इतिहास :: पृष्ठांक विषय जांगड़ा पौरवाल अथवा पौरवाड़ नेमाड़ी और मलकापुरी पौरवाड़ बीस मारवाड़ी पौरवाल ३४ पुरवार परवारज्ञाति ई० सन् की आठवीं शताब्दी में श्री हरिभद्रसूरि द्वारा अनेक कुलों को जैन बनाकर प्राग्वाट - श्रावकवर्ग में सम्मिलित करना श्री शंखेश्वरगच्छीय आचार्य उदयप्रभसूरिद्वारा वि० [सं० ७६५ में श्री भिन्नमालपुर में आठ बाकुलों को जैन बनाकर प्राग्वाटश्रावकवर्ग में सम्मिलित करना - भिन्नमाल में जैन राजा भाग द्वारा संघयात्रा और कुलगुरुओं की स्थापना कुलगुरुयों की स्थापना का श्रावक के इति लघुशाखीय और बृहदशाखीय अथवा लघुसंतानीय और बृहद्संतानीय भेद और दस्सा बीसा और उनकी उत्पत्ति राजमान्य महामंत्री सामंत कासिन्द्रा के श्री शांतिनाथ - जिनालय के निर्माता ५५ ५६ ३५ ३६ ६० श्रे० वामन प्राचीन गूर्जर - मंत्री-वंश हासपर प्रभाव समर और उसके पुत्र नाना और अन्य सात प्रतिष्ठित ब्राह्मणकुलों का प्राग्वाट श्रावक बनना राजस्थान की अग्रगण्य कुछ पौषधशालायें 19 RS ३७ महामात्य निन्नक दंडनायक लहर महात्मा वीर ६१ ६३ ६६ और उनके प्राग्वाटज्ञातीय श्रावककुलसेवाड़ी की कुलगुरु पौषधशाला घाणेराव की कुलगुरु पौषधशाला ३८ महामात्य नेढ़ महाबलाधिकारी दंडनायक विमलविमल का दंडनायक बनना महमूद गजनवी और भीमदेव में प्रथम मुठभेड़ ६७ 11 ३६ ४० 19 सिरोही की कुलगुरु- पौषधशाला बाली की कुलगुरु पौषधशाला प्राग्वाट अथवा पौरवालज्ञाति और उसके भेदप्राग्वाट अथवा पौरवालवर्म का जैन और वैष्णव पौरवालों में विभक्त होना ४१ दंडनायक विमल की बढ़ती हुई ख्याति । भीमदेव के हृदय में उसके प्रति डाह । विमल द्वारा पचन का त्याग। चंद्रावती - पर आक्रमण । विमल द्वारा अर्बुदगिरि पर विमलवसहि का बनाना और उसकी व्यवस्था ७४ श्री शत्रु जयमहातीर्थ में विमलवसहि महामात्य धवल का परिवार और उसका यशस्वी पौत्र महामात्य पृथ्वीपाल किन २ कुलों से वर्तमान जैन प्राग्वाटवर्ग की ४२ ७५ उत्पत्ति हुई ज्ञाति, गोत्र और अटक तथा नखों की उत्पत्ति और उनके कारणों पर विचार प्राग्वाटज्ञाति में शाखाओं की उत्पत्ति .. सौरठिया और कपोला पौरवाल "गुर्जर पौरवाल पद्मावती पौरवाल 4 विषय " ४३ ४४ ४५ ४६ पृष्ठांक ४७ ५० ५२ ५३ ५४ ७६ मंत्री धवल और उसका पुत्र मंत्री आनंद ७५ महामहिम महामात्य पृथ्वीपाल पत्तन और पाली में निर्माणकार्य विमलवसति की हस्तिशाला का निर्माण 19 ७७
SR No.007259
Book TitlePragvat Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatsinh Lodha
PublisherPragvat Itihas Prakashak Samiti
Publication Year1953
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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