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कल्प
सूत्र
प्रत
सूत्रांक
[२०४]
गाथा
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दीप
अनुक्रम
[२००]
कल्प. सुबो
व्या० ७
॥१४५॥
दशाश्रुतस्कंध-अध्ययनं-८ “कल्पसूत्र” - (मूलं + वृत्तिः)
मूलं [२०४] / गाथा [२...]
........... व्याख्यान [७] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.. दशाश्रुतस्कंध अध्ययन-८ “कल्पसूत्र" मूलं एवं विनयविजयजी रचिता वृत्तिः:
बेंतालीस हजार वर्ष न्यून एवा छासठ लाख छबीस हजार वर्षे अधिक एकसो सागरोपमें श्रीवीर निर्वाण, तेवारपछी नवसो एंसी वर्षे पुस्तकवाचनादि १० | श्रीसुविधिनाथना निर्वाणथी नव कोडी सागरोपमें श्रीशीतल निर्वाण, तिवारपछी बेतालीस हजार वर्ष त्रण वर्ष साडाआठमास एटला न्यून, एक कोडी सागरोपमें श्रीवीर निर्वाण, तिवारपछी नवसो ऐसी वर्षे पुस्तकवाचनादि ९ । श्रीचंद्रप्रभुना निर्वाणथी नेवु कोडी । सागरोपमे श्रीसुविधि निर्वाण, तिबारपछी बेंतालीस हजार वर्ष त्रण वर्ष साडा आठ मास एटला न्यून दश कोडी सागरोपमें, श्रीवीर निर्वाण, तिवारपछी नवसो ऐसी वर्षे पुस्तकवाचनादि ८ । श्रीसुपार्श्वना निर्वा यी नवलें कोडी सागरोपमें श्रीचंद्रप्रभ निर्वाण, तिवारपछी पैंतालीस हजार वर्ष त्रण वर्ष साडाआठ मास एटले न्यून एकसो क्रोड सागरोपमें श्रीवीर निर्वाण, तिवारपछी नवसो एंसी वर्षे पुस्तकवाचनादि ७ । श्रीपद्मप्रभना निर्वाणथी नव हजार कोडि सागरोपमें श्रीसुपार्श्व निर्माण, तिवारपछी त्रण वर्षे साडाआठ मास तथा बेंतालीस हजार वर्ष ओछा एक हजार क्रोड सागरोपमें श्रीवीर निर्वाण, नेवारपछी नवसो एंसी वर्षे पुस्तकवाचनादि ६ । श्रीसुमतिनाथना निर्वाणथी नेवु हजार क्रोड सागरोपमें श्रीपद्मप्रभ निर्वाण, तिवार पछी त्रण वर्ष साडा आठ मास बेंतालीस हजार वर्ष ओछा दश हजार क्रोड सागरोपमें श्रीवीर निर्वाण, पछी नवसो ऐसी वर्षे पुस्तकवाचनादि ५ । श्रीअभिनंदनना निर्वाणथी नव लाख क्रोड सागरोपमें श्रीसुमति
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श्रीजिनानां पुस्तकलि
सनस्य चा न्तराणि
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॥१४५॥ २७
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