________________
आगम (४४)
"नन्दी- चूलिकासूत्र-१ (मूलं+वृत्ति:)
मूलं H I गाथा ||४||
...........
योग्या
योग्या:
प्रत सूत्रांक
वृत्ती
S4
नन्दी-६ तत्व रिठ्ठो सुमरिंसु सरामिणेदाणि ॥९॥ एगेण विसइ बीएण णीइ कण्णण चालणी आह । धन उत्थ आह सेलो जे पविसति | हारिभद्रीयता नीति वा तुज्या ॥१०॥ तावसखउरकिढिणर्य चालणिपडिवक्खि ण संदद दवपि । परिपूर्णगम्मि य गुणा मलति दोसाय चिट्ठति
॥११॥ सम्वन्नुप्पाममा दोसा हुन सति जिणमते केई। जे अणुवउत्तकहणं अपत्तमासज्ज व हविज्ज ॥ १२ ॥ अंबत्तण ॥२२॥
जीहाए कृचिया होइ खीरमुदगम्मि । इंसो मोत्तूण जलं आवियइ पयं तह सुसीसो ।। १३ ॥ सयमवि न पियइ महिसो ण य जूह पियइ लोलियं उदगं । विग्गहक्किहाहि तहा अथकपुच्छाहि य कुसीसो ॥ १४ ॥ अवि गोपयंमिवि पिए सुढिओ तणुयत्तण तोंडस्स । न करेइ कलुसतोयं मेसो एवं मुसीसोवि ॥ १५॥ मसउच्च तुर्द जच्चादिएदि निच्छु भए कुसीसो उ । जलुगा व अद्मितो पियह मुसीसोवि सुयणाणं ।। १६ ॥ छडेउ भूमीए खीरं जह पियइ दुहमज्जारी । परिसुट्टियाण पासे सिक्खर एवं विणय
भंसी ॥ १७ ॥ पाउं थोवं थोवं खीरं पासाई जाहओ लिहइ । एमेव जिय काउं पुच्छह मइमं न खिज्जेइ ।। १८ ।। अण्णो दोज्झिहि ४ कई णिरत्थयं किं वहामि से चारि । चउचरणगवी उ मता अवन हाणी य बडगाण ॥१९ ।। मा मे होज्ज अवण्णो गोबज्या
मा पुणो व न दलिज्जा । वयमचि दोज्झामो पुणो अणुग्गहो अबढेऽपि ॥ २० ॥ सीसा पडिच्छगाणं भरोत्ति तेऽविर सीस । गभगोत्ति । ण करेंति सुत्तहाणी अमत्थवि दुभ तेसि ।। २१ ॥ कोमुदिया तह संगामिया य उम्भूतिगा उ तिमि मेरीओ।
कण्हस्सासी उ (ए) तया असिवोषसमी चउत्थी उ ।। २२ ॥ सकपसंसा गुणगाहि केसवा मिचंद सुणदन्ता । आसरयणस्स दाहरण कुमार भंग य पुयजुझं ॥ २३ ॥णेहि जिओमित्ति अहं असिवोवसमीइ संपयाण च । छम्मासिय घोसणया पसमह ण य
जायए अण्णो ॥ २४ ॥ आगंतु वाधिखोमे महिहि मोल्लेण कंथ दंडणता । अट्ठमाराहण अनमेरि अनस्स ठवणं च ॥ २५ ॥
SANSWERSEAR
गाथा ||४४||
दीप अनुक्रम [४६]
॥२२॥
मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र - [४४], चूलिकासूत्र -[१] "नन्दीसूत्र" मूलं एवं हरिभद्रसूरिजी-रचिता वृत्ति:
~27~