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________________ आगम (४०) आवश्यक"- मूलसूत्र-१ (नियुक्ति:+वृत्तिः) भाग-४ अध्ययनं [१], नियुक्ति: [८४७], विभा गाथा [-], भाष्यं [१५०...], मूलं F /गाथा-] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[४०], मूलसूत्र-[१] "आवश्यक नियुक्ति एवं मलयगिरिसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत सत्राक का दीप अनुक्रम श्रीआय- साहियं सुगंधिविचित्तनेवत्थं, ताणि तं दहण भणंति-एस देवलोगो जो से तया साहहिं वन्नितो, एत्ताहे जइ वच्चामो तोव्यसनोत्सश्यकमल- सुंदरतरं करेमो जेण अम्हे वि देवलोगे उबवज्जामो, ताहे ताणि गंतूण साहूण साहेति-जो तुदभेहिं अम्हं कहितो देवलोगो वर्धिषु गंग सो पचक्खो अम्हे हिं दिट्ठो, साह भणति-न तारिसो देवलोगो, अतो अण्णारिसो अणंतगुणो, ततो ताणि अमहियजाय- दत्ताभीरउपोद्घाते|हाविम्हयाणि पबइयाणि, एवं उसपेण सामाझ्यलभो ९॥ दादशार्णाः ॥४६८॥ 'इहित्ति, दसन्नपुरे नगरे दसन्नभद्दो राया, तस्स पंच देवीसयाण अंतेउरं, एवं सो स्वेण जोषणेण बलेण वाहणेण ॥ ४ाय पडिबद्धो, एरिसं नस्थि अण्णस्सत्ति चिंतेड, दसन्नकडे पचए सामी समोसरितो, ताहे सो चिंतेइ-तहा कहं बंदामि | | जहा ने अनेण बंदियपुषो, तं च अभत्थियं सको नाऊण चिंतेइ-वरागो अप्पाणं न याणइ, ततो राया महया समुदएण निग्गतो, वंदितो सबिड्डीए, सक्को य देवराया एरावणं विलग्गो, तस्स अट्ठ मुहे विउबइ, मुहे मुहे अट्ठ अट्ठ दंते, दंते दंते अट्ठ अट्ठ पुक्खरिणीतो, एक्केक्काए पुक्खरिणीए अट्ठ अट्ट पउमे, पउमे पउमे अट्ठ अट्ठ पत्ते विउबइ, एकेकमि पत्ते अट्ट अट्ठ बत्तीसइपत्तवद्धाणि दिवाणि नाडगाणि विउबइ, एवं सो सबिड्डीए उवगिजमाणो आगतो, ततो एरावणं बिलग्गो चेव तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेइ, ताहे सो हत्थी अग्गपाएहिं भूमीए ठितो, ताहे तस्स हत्थिस्स दसन्नकूडे पबए देवयाए पभावेण पायाणि उट्ठियाणि, ततो से नामं खाय-गयग्गपदगोत्ति, ताहे सो दसन्नभद्दो चिंतेइ-एरिसा कतो अम्हाणं इड्डी, ॥४६८॥ अहो कपडतो अणेण धम्मो, अहमपि करेमि, ताहे सो सवं छड्डेऊण पवइतो, एवं इड्डीए सामाइयं लहइ १०॥ इयाणि सकारेण, एगो धिज्जाइतो तहारूवाणं घेराणं अंतिए धम्म सोच्चा पबतिओ समहिलिओ, उग्गं पवजं करेंति, ~58~
SR No.007204
Book TitleAagam 40 Aavashyak Malaygiri Vrutti Mool Sootra 1 Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2017
Total Pages327
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size27 MB
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