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आगम
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आवश्यक’- मूलसूत्र-१ (नियुक्ति:+वृत्तिः) भाग-४ अध्ययनं [१], नियुक्ति: [१०२५], विभा गाथा , भाष्यं [१५१...], मूलं - /गाथा-], मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[४०], मूलसूत्र-[१] "आवश्यक नियुक्ति एवं मलयगिरिसूरि-रचिता वृत्ति:
प्रत सूत्रांक
गस्स परिवाडी जाया, तत्थ गतो चिंतेइ-इमो विराहियसामन्नो कोवि होअत्ति निसीहियं भणित्ता नमोकारं पढतो दुकइ, है वाणमंतरस्स चिंता जाया-कत्थ मण्णे एवं सुयपुर्व ?, णायं, संबुद्धो, बंदर, भणइ-अहं तत्थेव आहरामि, गतो, रण्णो
कहियं, रण्णा सम्माणितो, तस्स ओसीसए दिणे २ ठवेइ, एवं तेण अमिरई भोगा य लद्धा, जीवियातो य किं अन्नं ४ आरोग्गं ,रायावि परितुट्ठोति ३॥
परलोगेवि नमोकारफलं-वसंतपुरे नयरे जियसत्तू राया, तस्स गणिया साविया, सा चंडपिंगलेण सम वसति, अन्नया कयाइ तेण रन्नो घरं हयं, हारो नीणितो, भीएहि संगोविजइ, अण्णया उजाणियाए गमणं, सबातो विभूसियातो गणियातो वचंति, तीए सबातो अतिसयामित्ति सो हारो आविद्धो, जीसे देवीए सो हारो तीसे दासीए सो नातो, कहिय रन्नो, साहू केण समं वसइ ?, कहिए चंडपिंगलो गहितो, सूले मिन्नो, एतीएवि चिंतियं-मम दोसेण मारिउत्ति, सा से नमोकार देइ, भणइ य-निदाणं करेहि जहा--एयरस रण्णो पुत्तो आयामित्ति, कयं निदाणं, अग्गमहिसीए उदरे उववशो, दारगो जातो, |सा साविया कीलावणधाती जाया, अण्णया चिंतेह-कालो समो गम्भस्स मरणस्स य, होजा कयाइ, रमाती भणइ-मा
रोव चंडपिंगला इति, जाई सरिया, संबुदो, राया मतो, सो राया जातो, सुचिरेण कालेण दोषि पवइयाणि, एवं सुकुलपञ्चा|8| याती तंमूलागं च सिद्धिगमणमिति ॥ अहवा विइयं उदाहरणं-महुराए नयरीए जिणदत्तो सावगो, तस्थ हुंडितो चोरो,
नगरं परिमुसइ, सो कयाइ गहियो, सूले भिन्नो, रण्णा भणियं-पडियरह बिइज्जयावि से नजिहिंति, ततो रायमणूसा पडिचरंति, सो जिणदत्तो सावगो तस्स नाइदूरेण वीतीवयइ, सो चोरो भणइ-सावग! तुममणुकंपगोऽसि, तिसाइतोऽई, देहि
अनुक्रम
[१]
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