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आगम
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आवश्यक - मूलसूत्र-१ (नियुक्ति:+वृत्तिः) भाग-४ अध्ययनं [१], नियुक्ति: [९४१-९४२], विभा गाथा -1, भाष्यं [१५१...], मूलं - /गाथा-], मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[४०], मूलसूत्र-[१] "आवश्यक नियुक्ति एवं मलयगिरिसूरि-रचिता वृत्ति:
प्रत
सूत्रांक
१२'खुडगेत्ति एगा परिवाइया पइण्णापुषगं भणइ-जो जं करेइ त भए कायचं, रण्णा पडहगो दवावितो, खुड्डुगो भिक्खापविट्ठो सुणेइ, वारितो पडहतो, गओ राउलं, दिवो तीए, भणइ-कतो गिलामि?, तेण सागारियं दाइऊण काइयाए पउमं लिहियं, सा न तरइ, जिया, खुड्गस्स उत्पत्तिया बुद्धी १३। 'मग्गिस्थिति, एगो भज गहाय गार्मतरं बच्चइ, सा सरीरचिंताए उत्तिशा, से रूवेण वाणमंतरी विलग्गा, इयरी पच्छा आगया, रडइ, ततो गामे ववहारो जातो, एगा भणइमम भत्ता, एसा कावि वाणमंतरी, इयरीवि एवं भणइ, ततो कारणिगेहिं चिंतिऊण पुरिसो दूरे ठवितो, जो पढर्म हत्थेण गिण्हइ तीसे भत्ता, वाणमंतरीए हत्थो दूरेण पसारिओ, नायं वाणमंतरी एसा, निद्धाडिया, कारणिगाण उप्पत्तिया बुद्धी १४ । बिइयं उदाहरणं-मग्गे मूलदेवो कंडरीतो य वचंति, इतो य-एगो पुरिसो समहिलो दिहो, कंडरीतो तीसे रूबेण
मुच्छितो, मूलदेवेण भणिय-अहं ते घडेमि, ततो मूलदेवो तं एगमि वणनिगुंजे ठविऊण पंथे आगतो अच्छा, जाव सोx |४|पुरिसो समहिलो आगतो, मूलदेवेण भणियं-एत्थ मम महिला पसवइ, एवं महिलं विसजेह, विसज्जिया, गया, सा तेण टासम अच्छिऊण आगया, आगंतूण य तत्तो पडयं घेतूण मूलदेवस्स धुत्ती भणइ हसंती-पियं खुणे दारओ जातो, दोण्हवि|
उप्पत्तिया बुद्धी १४ । 'पईत्ति, दोण्हं भाउगाणं एगा भज्जा, लोगस्स महलं कोट्ट-दोण्हवि समा, परंपरएण रण्णा सुर्य, तापरं विम्हयं गतो, अमच्चो भणइ-कतो एवं होहित्ति ?, अवसं विसेसो अत्थि, एतेण तीसे महिलाए लेहो दिनो, जहाटीएएहिं दोहिबि गामं गंतर्ष, एगो पुषेण एगो अवरेणं, तद्दिवसं चेव आगंतवं, ताए महिलाएं एगो पुज्येणं पेसितो, दि
एगो अवरेण, जो वेसो तस्स पुबेण, एन्तस्सवि जंतस्सवि निडाले सूरो, एवं नायं, असद्दईतेसु पुणोऽवि पट्टविऊण समग
अनुक्रम
RAKAREKAR
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