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________________ आगम (४०) प्रत सूत्रांक [H] दीप अनुक्रम H “आवश्यक”- मूलसूत्र-१ (निर्युक्तिः + वृत्तिः) भाग-३ अध्ययनं [-], निर्युक्तिः [ ७८२-७८३] वि० भा० गाथा [२३१५-२३१८], भाष्यं [१२६], मूलं [- / गाथा-] दीपरत्नसागरेण संकलित.. आगमसूत्र [४०], मूलसूत्र-[१] "आवश्यक" निर्युक्तिः एवं मलयगिरिसूरि-रचिता वृत्तिः श्री मावश्यक मल य० वृत्ती उपोद्घाते ॥४०४॥ Jain Education Into तरं, अन्नया कबाई तीसे सज्झायपोरिसिं करेंतीए ढंकेण भायणाणि उवचंतेण ततोहुत्तो इंगालो छूढो, ततो तीसे संधाडीए एगदेसो दहो, सा भणइ सावय ! किं ते संघाडी दडा ?, ताहे सो सवित्थरं पण्णवेइ, सा संबुद्धा, तहत्ति पडिमइ, इच्छामि सम्मं पडिचोयणा, ताहे सा गंतूण जमालिं पन्नवेइ बहुविहं, सो जाहे न पडिवज्जइ ताहे सा सहरसपरि बारा सेससाहुणो अ सामिसगासं गया, इयरोऽवि एगागी चंपं नगरीं गतो, तत्थ सामिस्स अदूरसामंते ठिचा सामिं भाइ-देवाणुप्पियाणं बहवे अंतेवासी समणा छउमत्थावकमेण वर्षाता, नो खलु अहं तहा छउमत्थावकमेणमवते, अहण्णं उप्पन्ननाणदंसणधरे अरहा जिणे केवली भवित्ता केवलिअवकमेण अवकंते, तर णं भयवं गोयमे जमालिं एवं वयासीनो खलु जमाली ! केवलिस नाणे वा दंसणे वा सेलथंभादिणा आवरिज्जइ, जइ णं तुमं जमाली ! उप्पननाणदंसणघरे व्रा णं इमाई दो वागरणाई वागरेहि-सासए लोए ? असासए लोए ?, सासए जीए ? असासर जीए ?, तए णं से जमाली भयवया गोयमेणं एवं वृत्ते समाणे खुभिए नो किंचि पडिवयणं दाउ संचाएइ, तुसिणीए चिट्ठइ, ततो भयवं महावीरे जमाठीं एवं वयासी - अस्थि णं जमाली ! मम बढ़वे अंतेवासी छउमत्था जे पभू एवं वागरणं वागरित्तए जहा अहं, नो पुण एयप्पगारं भासं भासितए, सासए लोए जमाली, जं न कयाइ नासी न कयाइ न भवइ न कयाइ न भविस्सइ, किंतु भुविं भवइ व भविस्सइ य, असासए लोए, जण्णं उस्सप्पिणी भवित्ता ओसप्पिणी भवइ ओपी भवित्ता उस्सप्पिणी भवइ, सासए जीए जमाली !, जनं न कयाइ नासी जाव न भविस्सइ य, असासए जीए, जं नेरइए भविता तिरिक्खजोणीए भवइ तिरिक्खजोणीए भविता मणुस्से भवति, मणुस्से भवित्ता देवे, सो य जमाली सामिस्स एवमाइक्खमाणस्स एय For Private & Personal Use Only ~ 224~ जमालिमतखण्डनं ॥४०४॥ janelibrary.org
SR No.007203
Book TitleAagam 40 Aavashyak Malaygiri Vrutti Mool Sootra 1 Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2017
Total Pages316
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size26 MB
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