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________________ आगम (४०) "आवश्यक"- मूलसूत्र-१ (नियुक्ति:+वृत्तिः ) भाग-३ अध्ययनं -1, नियुक्ति: [७६३-७६४], विभागाथा [-], भाष्यं [१३७...], मूलं -/गाथा-] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[४०], मूलसूत्र-[१] "आवश्यक नियुक्ति: एवं मलयगिरिसूरि-रचिता वृत्ति: D प्रत सत्राक श्रीआय-पद इयं कालं संगोवितो, एत्ताहे तुमं संगोवेहि, ततो तेण भणियं-मा ते पच्छातायो भविस्सइ, ताहे सक्खीकाऊण गहितोश्रीवज्रवृत्त श्यक मल- छम्मासितो, ताहे तेण चोलपट्टेण पत्ताबंधिओ, न रोवइ, जाणइ सन्नी, ताहे तेसु उवस्सयं आगएम आयरिएहिं भाणं यः वृत्तीभारियति हत्थो पसारितो, दिन्नो, हत्थो भूमि पत्तो, भणंति- अजो! नजइ वइरंति, जाव मुकं, पेच्छंति देवकुमारोवम | उपोदयातदारगं, भणंति य-सारक्खह दारगं एयं, पवयणस्स आहारो एसोत्ति, तत्थ से पइरो चेव नामं कर्य, ताहे संजईण दिनो, ताहिं सेज्जायरकुले,सेज्जायरगाणि जाहे अप्पणगाणं चेडरूवाणं पीहगंवा पहाणं वा मंडणगंवा करेंति ताहे सर्व तस्स करेंति, ॥३८७॥18 जाहे उच्चाराई आयरइ ताहे आगारं दंसेइ कुबेइवा, एवं संवड्डइ, फासुयपडोयारो तेसिं इट्ठो, साइवि बाहिं विहरंति, ताहे| दासा सुनंदा पमग्गिया, तातो निक्खेवगोत्ति न देंति, सा आगया धणं देइ, एवं तिवरिसो जातो । अण्णया साह विह-H कारता आगया, तस्थ राउले वयहारो जातो, सो धणगिरी भणइ-मम एयाइ दिन, तो नगरं सुनंदाए- पक्खियं, ताए बहूणि खेलगाणि गहियाणि, रन्नो पासे क्वहारे च्छेदो, तत्थ पुबहुत्तो राया दाहिणतो संघो सयणपरियणो वामपासे नरदवइस्स, तत्थ राया भणइ-मम के अप्पगा ? के परे , जतो चेडो जाइ तस्स भवतु, तेहिं पडिस्सुयं, को पढमं वाह रउ, पुरिसोत्तमो धम्मोसि पुरिसो बाहरउ, ताहे नगरजणो आह-एएसिं परिचिओ, माया सदावउ, अविय-माया दुकरकारिया, पुणो य पेलवसत्ता, तम्हा एसा चेव वाहरउ, ताहे आसहत्थिरहउसमेहिं मणिकणगरयणचिचेहिं बालभा-13॥३८७॥ वलोभावगेहिं भणइ-एहि वयरसामी-1, ताहे पलोएंतो अच्छइ, चिंतेइ य-जइ संघ अवमन्नामि तो दाहसंसारिओ भवि-द सामि, अविय-एसावि पवइस्सति, एवं तिण्णि वारे सहावितो ण एइ, ताहे से पिया भणइ-जइ सि कयववसातो दीप अनुक्रम ~190~
SR No.007203
Book TitleAagam 40 Aavashyak Malaygiri Vrutti Mool Sootra 1 Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2017
Total Pages316
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size26 MB
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