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आगम
(४०)
प्रत सूत्रांक
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दीप
अनुक्रम [-]
“आवश्यक”- मूलसूत्र-१ (निर्युक्तिः + वृत्तिः) भाग-२
अध्ययनं [-] निर्युक्तिः [ ४०५-४१३ ], मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र -[४०],
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वि० भा० गाथा [-] भाष्यं [ ४३...], मूलं [- / गाथा-] मूलसूत्र - [१] “आवश्यक" निर्युक्तिः एवं मलयगिरिसूरि-रचिता वृत्तिः
निगदसिद्धा ॥ वासुदेवबलदेवानां यथोपन्यासमायुःप्रतिपादनायाह
sais बिसरि सट्टी तीसा य दस य लक्खाई । पन्नट्ठिसहस्साइं छप्पन्ना बारसेगं च ॥ ४०५ ॥ पचासी पनतरी अ पन्नट्टि पंचबन्ना य । सप्तरस सयसहस्सा पंचमए आउअं होइ ॥ ४०६ ॥ पंचासह सहस्सा पट्टी चैव तह य पन्नरस । बारस सयाइँ आउँ बलदेवाणं जहासंखं ॥ ४०७ ॥ निगदसिद्धाः ॥ साम्प्रतममीषामेव पुराणि प्रतिपाद्यन्ते, तत्र
पोशण बारवइतिगं अस्सपुरं तह य होइ चक्कपुरं । बाणारसि रायगिहं अपच्छिमो जाउ महुराए ॥ ४०८ ॥ निगदसिद्धा । एतेषां मातृपितृप्रतिपादनायाह
मिगाव उमा चैव पुहवी सीआ प अम्मया । लच्छिमई सेसमई, केगई देवई इज ॥ ४०९ ॥ महा सुभद्द सुष्पभ सुदंसणा विजय वैजयंती अ । तह य जयंती अपराजिआ य तह रोहिणी चैव ॥ ४१० ॥ हवह पयावह बंभो रुद्दो सोमो सिवो महसिवो य । अग्गिसीहे अ दसरहे नवमे भणिए अ वसुदेवे ॥ ४११ ॥ निगदसिद्धाः ॥ एतेषामेव पर्यायवक्तव्यतामभिधित्सुराहू
परिआओ पाभावाओ नत्थि वासुदेवाणं । होइ बलाणं सो पुण पढमणुओगाओ नायको । ४१९ ।। निगदसिद्धैव ॥ एतेषामेव गतिप्रतिपादनायाह
एगो सत्तमा पंचय छुट्टीह पंचमी एगो । एगो अ चउत्थीए कण्हो पुण तबपुढव ॥ ४१३ ॥
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