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________________ आगम (४०) प्रत सूत्रांक [-] दीप अनुक्रम [-] “आवश्यक”- मूलसूत्र-१ (निर्युक्तिः + वृत्तिः) भाग-१ अध्ययनं [-] निर्युक्तिः [ १३१ ], भाष्यं [-] वि० भा० गाथा [-], मूलं [- / गाथा-] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.. आगमसूत्र -[४०], मूलसूत्र - [१] "आवश्यक" निर्युक्तिः एवं मलयगिरिसूरि-रचिता वृत्तिः उपोद्घातनिर्युक्तिः ॥ १३७ ॥ घणदेवेणं एय नाऊण तंबियातो सूइतो घडावियातो, ततो सुनघरे पडिमं ठियस्स बीससुबि अंगुलीनहेसु अक्लोडियातो, ततो सम्ममहियासेमाणो वेयणाभिभूतो कालगतो देवो जातो, ततो विश्यदिवसे गवेसंतेहिं दिट्ठो अकंदो * जातो, गवेसंतेहिं सूईतो दिट्ठातो, तंबकुट्टगसगासे उचलद्धं धणदेवेण कारावियाओ, रुसिया कुमारा धणदेवं मग्गंति, दोण्हवि बलाणं युद्धं संपलग्गं, ताहे सागरचंदो देवो अंतरे ठाऊण उवसामेइ, पच्छा कमलामेला भयवतो सगासे पद्मइया, एत्तियं पसंगेण भणियं एत्थ सागरचंदस्स संवकुमारं कमलामेलं मन्नमाणस्स अणणुयोगो, नाहं कमलामेलत्ति भणिए अणुयोगो, एवं जो विवरीयं परूवेइ तस्स अणणुयोगो, जहाभावं परूवेमाणस्स अणुयोगो । संवस्स साहसमुदाहरणं- अंबवती कन्हं भणइ एकावि मए पुत्तस्स अणाडिया न दिट्ठा, कण्हेण भणियं - अज्ज दाएमि, ताहे कण्हेण जंबवईए आभीरीरूवं कयं सयं आभीरो जातो, दोवि तकं घेत्तुं बारवइमज्झमोइण्णाणि महियं विकिणंति, संत्रेण दिट्ठाणि, आभीरी भणिया - एहि महियं किणामिति, सा अणुगच्छइ, आभीरो मग्गेण एइ, सो एकिलयं देउलियंमि पविसेइ, सा आभीरी भणइ-नाहं पविसामि, किंतु मोल्लं देहि, जइ इच्छा तो पत्थ चैव द्वितो तर्क गेण्ड्राहि, सो भइ-अवस्सं पइसियां, सा नेच्छइ, ताहे हत्थे लग्गो, आभीरो उद्धाइतो, संवेण समं संपलग्गो, संबो जुद्धमहिद्वितो, आभीरो वासुदेवो जातो, इयरीबि जंबवती, ततो संबो पियरं मायरं च पासिऊण लज्जितो अंगुट्ठि काऊण पलाइतो, बिइयदिवसे मड्डाए आणिजंतो खीलगं घडेइ, वासुदेवेण पुच्छितो- किं एयं घडेहिसि १, सो भणइ-जो पारियासियं बोलं कहेहि तस्स मुहे खोडिज्जिहिर, पत्थ पढममणणुयोगो, नाप अणुयोगो, एवं जो विवरीयं परुवेह तस्स अणणुयोगो, इयरस्स अणुयोगो। श्रेणिक कोपोदाहरणम् For Pivate & Personal Use Only 289~ भावानुयोगादी - ष्टान्ताः | ॥ १३७ ॥ jainslibrary.org
SR No.007201
Book TitleAagam 40 Aavashyak Malaygiri Vrutti Mool Sootra 1 Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2017
Total Pages307
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size27 MB
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