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को जानने की अपेक्षा सभी धर्मों व दर्शनों को पढ़ना व समझना चाहता है। हमारा मानना है कि यदि जैनधर्म-दर्शन का अध्ययन न किया जाए तो भारतीय संस्कृति को संपूर्ण रूप से समझना कठिन है।
इस युग में प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव से लेकर अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर ने जन-जन को नई राह दिखाकर मोक्षमार्ग प्रशस्त किया है। ऐसे तीर्थंकरों की, मुनियों-आचार्यों की वाणी जन-जन तक पहुँचे, जैन धर्म की वैज्ञानिकता तथा व्यापकता से जनसामान्य परिचित हो तथा सभी अपना कल्याण कर सकें, ऐसी मेरी भावना रही है। मैंने अपने इस मंतव्य की चर्चा डॉ० अनेकांत जैन, नई दिल्ली से की तथा उन्हें इस विषय पर कार्य करने को प्रेरित किया। फलस्वरूप प्रस्तुत कृति की रचना उन्होंने पूरे मनोयोग से की। 'जैन धर्म -एक झलक' सभी के जीवन में प्रकाश-स्तंभ का काम करे; अज्ञान, अंधकार को दूर कर सबको सुखी करे। ऐसा आशीर्वाद है।
भारतीय संस्कृति भारतीय विचारधारा में अहिंसावाद के रूप में जैनदर्शन और जैन विचारधारा की जो देन है, उसको समझे बिना वास्तव में भारतीय संस्कृति के विकास को नहीं समझा जा सकता।
-डॉ० मंगलदेव शास्त्री