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________________ इस स्तोत्र के माध्यम से आप सर्वाधिक प्रसिद्ध हुए हैं। २. अमितगतिश्रावकाचार भाषा वचनिका : आचार्य अमितगति द्वारा लिखित श्रावकाचार ग्रन्थ की यह ब्रजभाषा में की गई वचनिका है। ३. उपदेशसिद्धान्त रत्नमाला वचनिका : आचार्य धर्मदास के सदुपदेश से भट्टारक नेमिचन्द्र द्वारा लिखे गए; महाभयंकर पाप गृहीत- अगृहीत मिथ्यात्व की भयंकरता बताकर उसके त्याग का उपदेश देनेवाले इस ग्रन्थ यह वचनका है। ४. प्रमाण परीक्षा वचनिका : आचार्य विद्यानन्द द्वारा रचित प्रत्यक्षपरोक्ष प्रमाण और मत-मतान्तर सहित उनके भेद - प्रभेदों का वर्णन करने वाले प्रमाण परीक्षा ग्रन्थ की यह वचनिका है । ५. नेमिनाथ पुराण : आचार्य जिनसेन विरचित हरिवंश पुराण का सार लेकर बाईसवें तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ का समग्र जीवन-दर्शन इसमें उपलब्ध है। ६. ज्ञानसूर्योदय नाटक वचनिका : आचार्य वादिराजसूरी द्वारा नाट्य शैली में लिखित केवलज्ञानरूपी सूर्य के उदय की प्रक्रिया अर्थात् भगवान नने की विधि बतानेवाले इस ग्रन्थ की यह वचनिका है। ७. सत्तास्वरूप : इसमें सम्बोधन शैली द्वारा गृहीत मिथ्यात्व छुड़ाने के लिए प्रमाण, नय, निक्षेप आदि के माध्यम से वीतरागी, सर्वज्ञता - सम्पन्न सच्चेदेव की सत्ता सिद्ध की गई है। गद्यशैली में लिखी गई यह आपकी मौलिक कृति है । ८. पद संग्रह : इसमें भक्तिपरक, वैराग्यपरक, सैद्धान्तिक आदि विषयों मय ८६ पदों का संग्रह है। उपलब्ध प्रमाणों से ज्ञात होता है कि ये सभी कृतिऔँ वि.सं. १९०७ से १९१३ पर्यंत के काल में रचित हैं; अत: इस समय को आपकी साहित्यिक साधना का स्वर्ण-काल कहा जा सकता है। इसप्रकार आपने आत्माराधना से अपने जीवन का सदुपयोग करने के साथ-साथ जिनवाणी माँ के अक्षय कोश को भी अपनी साहित्य-साधना से समृद्ध किया है। महावीराष्टक स्तोत्र / ३
SR No.007197
Book TitleTattvagyan Vivechika Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalpana Jain
PublisherA B Jain Yuva Federation
Publication Year2008
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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