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में सात्त्विक भोजन - पान का सेवन आदि ।
कार्य की उत्पत्ति के साथ अबिनाभाव संबंध रखने वाले पदार्थों की निमित्तता नियामक निमित्त है: जैसे क्रोध की उत्पत्ति के समय क्रोध कषाय नामक चारित्र मोहनीय कर्म का उदय आदि । कार्य की उत्पत्ति के साथ अबिनाभावी संबंध नहीं रखने वाले पदार्थों की निमित्तता अनियामक निमित्त है; जैसे क्रोध की उत्पत्ति में गाली आदि का सुनना इत्यादि ।
निष्क्रिय होने पर भी जिनका क्रिया हेतुत्व नष्ट नहीं होता है, उन पदार्थों की निमित्तता को बलाधान निमित्त कहते हैं; जैसे अपने पैरों के बल पर चलनेवाले व्यक्ति को यष्टि / लाठी का अवलम्बन इत्यादि । रुकावट करने वाली या बाधक निमित्तता को प्रतिबंधक निमित्त कहते हैं; जैसे सम्यग्दर्शन की उत्पत्ति में मिथ्यात्व कर्म का उदय या अज्ञानी - गुरु आदि का मिलना इत्यादि ।
विद्यमान पदार्थों की निमित्तता को सद्भावरूप निमित्त कहते हैं; जैसे जल की तरंगित दशा में वायु का चलना, तत्त्वोपलब्धि में सत्संग का मिलना इत्यादि । अविद्यमान पदार्थों की निमित्तता को अभावरूप निमित्त कहते हैं; जैसे जल की निस्तरंग दशा में वायु का नहीं चलना, तत्त्वोपलब्धि में दर्शनमोहनीय आदि कर्मों का उदय नहीं होना इत्यादि । इत्यादि रूपों में निमित्तकारण के अनेक भेद हो जाते हैं। प्रश्न १६ : कारण के भेद - प्रभेदों को चार्ट द्वारा स्पष्ट कीजिए । कार्य की उत्पादक सामग्री / कारण
उत्तर :
निमित्त कारण
उपादान कारण
N
त्रिकाली उपादान कारण क्षणिक उपादान कारण अनंतर पूर्व क्षणवर्ती पर्याययुक्त द्रव्य तत्समय की योग्यता
उदासीन प्रेरक अंतरंग बहिरंग नियामक अनियामक बलाधान प्रतिबंधक सदभावरूप अभावरूप
- निमित्त / ५५
उपादान