SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 140
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आत्मा को अपनत्वरूप से जानकर, पहिचानकर, उसमें ही स्थिरता/ संतुष्टि के बल पर सम्यक्त्व से लेकर सिद्ध पर्यंत सभी दशाएँ प्रगट होती हैं; अत: बुद्धिपूर्वक एकमात्र यही कार्य कर्तव्य है।। प्रश्न २९ : अविरत सम्यक्त्व गुणस्थान का काल स्पष्ट कीजिए। उत्तर : अविरत सम्यक्त्व गुणस्थान का जघन्य-काल अंतर्मुहूर्त तथा उत्कृष्ट-काल कुछ अधिक तेतीस सागर है। इन दोनों के बीच का अर्थात् एक अंतर्मुहूर्त और एक समय से लेकर कुछ अधिक तेतीस सागर में एक समय कम पर्यंत सभी समय-भेद इसके मध्यम-काल हैं। धवल पुस्तक ४ में आचार्य वीरसेन स्वामी इसके उत्कृष्ट-काल की विवक्षा इसप्रकार स्पष्ट करते हैं - एक समय कम तेतीस सागर की आयुवाले अनुत्तरवासी अहमिंद्र की आयु बाँधकर कोई संयमी मुनिराज विग्रहगति में अविरत सम्यक्त्व दशा प्राप्त कर वहाँ उत्पन्न हुए। वहाँ आयुबंध के समय एक पूर्व कोटिवर्ष वाली मनुष्य आयु बाँधकर वहाँ से च्युत हो यहाँ मनुष्यरूप में उत्पन्न हो अपनी आयु के अंतिम अंतर्मुहूर्त में संयमी हो गए। इसप्रकार अविरत सम्यक्त्व का उत्कृष्ट-काल एक अंतर्मुहूर्त कम एक पूर्व कोटि वर्ष अधिक एक समय कम तेतीस सागर निकलता है। ___ यह उत्कृष्ट-काल देवगति की अपेक्षा है। नरकगति की अपेक्षा इस गुणस्थान का उत्कृष्ट-काल छह अंतर्मुहूर्त कम तेतीस सागर है। मनुष्य तथा तिर्यंचगति की अपेक्षा इस अविरत सम्यक्त्व गुणस्थान का उत्कृष्टकाल क्रमश: साधिक तीन पल्य और तीन पल्य है। जघन्य-काल सर्वत्र अंतर्मुहूर्त ही है। प्रश्न ३० : इस अविरत सम्यक्त्व गुणस्थान का गुणस्थान की अपेक्षा गमनागमन स्पष्ट कीजिए। उत्तर : परिणामों की विचित्रता के कारण गुणस्थान की अपेक्षा इस गुणस्थान के गमनागमन में विविधता है; जो इसप्रकार है - गमन की अपेक्षा : १. अविरत सम्यक्त्व गुणस्थानवर्ती कोई द्रव्यलिंगी मुनिराज आत्मोन्मुखी तीव्र पुरुषार्थ द्वारा यहाँ से आरोहण कर सीधे सातवें अप्रमत्त-संयत गुणस्थान में पहुँच जाते हैं। चतुर्दश गुणस्थान/१३५ -
SR No.007197
Book TitleTattvagyan Vivechika Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalpana Jain
PublisherA B Jain Yuva Federation
Publication Year2008
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy