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________________ . परिणामशक्ति २९ व्यय विसदृश परिणाम हैं; क्योंकि वे दोनों परस्पर विरुद्ध स्वभाववाले हैं। एक का स्वभाव उत्पन्न होनेरूप है और दूसरे का स्वभाव नाश होने रूप है; इसकारण वे परस्पर विरुद्धस्वभाववाले हैं, विसदृशस्वभाववाले हैं। उत्पाद-व्यय विसदृश व धौव्य सदृशस्वभाववाला होने पर भी तीनों एक ही है; क्योंकि अस्तित्व तीनों का एक रूप में ही है। तीनों का नाम ही परिणाम हैं। कुछ लोग परिणमन को ही परिणाम या भाव समझते हैं; किन्तु परिणाम व भाव शब्द परिणमित होनेवाले उत्पाद - व्यय के लिए भी प्रयुक्त होता है और अपरिणामी ध्रुव के लिए भी प्रयुक्त होता है। परिणमित होकर भी ध्रुव रहना और ध्रुव रहकर भी परिणमित होना ही परिणामशक्ति का कार्य है अथवा परिणामशक्ति है । कुछ लोग उत्पाद-व्यय- ध्रुवत्वशक्ति और परिणामशक्ति में भेद नहीं कर पाते हैं। इन दोनों में भेद करना आसान भी नहीं है; क्योंकि उत्पाद - व्यय-ध्रुवत्वशक्ति को क्रमाक्रमवृत्तवृत्ति लक्षणवाली कहा गया है और परिणामशक्ति को उत्पाद - व्यय - ध्रौव्य से आलिंगित सदृशविसदृश परिणामों की एकरूपतारूप कहा गया है। दोनों शक्तियों में उत्पाद - व्यय ध्रुवत्व तो है ही । इस कारण भेद समझने में कठिनाई होती है; परन्तु एक शक्ति में क्रमवर्ती पर्यायें और अक्रमवर्ती गुणोंवाले उत्पाद - व्यय - ध्रुवत्व से संयुक्त द्रव्यस्वभाव की चर्चा है तो दूसरी शक्ति में उत्पाद - व्यय - ध्रौव्य में विद्यमान सदृशताविसदृशता की एकरूपता की चर्चा है। उत्पाद-व्यय-ध्रुवत्वशक्ति का कार्य उत्पाद, व्यय और धौव्य से संयुक्त होना मात्र है और परिणामशक्ति का कार्य परस्पर विरुद्धअविरुद्ध परिणामों का टिका रहना और परिणमित होते रहना है । ध्रुवरूप परिणाम तो अपरिणामी ही है, वह सदा अपरिणामी ही रहे - यह भी परिणामशक्ति का कार्य है और निरन्तर बदलनेवाले उत्पाद -
SR No.007195
Book Title47 Shaktiya Aur 47 Nay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherPandit Todarmal Smarak Trust
Publication Year2008
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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