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मिशक्ति
४७ शक्तियाँ और ४७ नय ... १९. परिणामशक्ति द्रव्यस्वभावभूतध्रौव्यव्ययोत्पादालिंगितसदृशविसदृशरूपैकास्तित्वमात्रमयी परिणामशक्तिः। इसप्रकार की गई है - क्रमवृत्ति और अक्रमवृत्तिरूप वर्तना है लक्षण जिसका, वह उत्पाद-व्यय-ध्रुवत्वशक्ति है।
प्रत्येक द्रव्य; गुण और पर्यायवाला होता है तथा सत् द्रव्य का लक्षण है; जो उत्पाद, व्यय और ध्रुवत्व से युक्त होता है।
यहाँ यह बताया जा रहा है कि अनन्त शक्तियों से सम्पन्न भगवान आत्मा में एक ऐसी भी शक्ति है कि जिसके कारण यह भगवान आत्मा स्वयं ही उत्पाद, व्यय और ध्रुवत्व से सहित है। उक्त शक्ति का नाम ही उत्पाद-व्यय-ध्रुवत्व शक्ति है।
तात्पर्य यह है कि इस भगवान आत्मा को स्वयं का अस्तित्व धारण करने के लिए, स्वयं को कायम रखने के लिए पर की ओर देखने की आवश्यकता नहीं है। न तो ध्रुव अस्तित्व को टिकाये रखने में पर के सहयोग की आवश्यकता है और न स्वयं में प्रतिसमय होनेवाले उत्पाद-व्ययरूप परिवर्तन करने के लिए ही पर के सहयोग की अपेक्षा है; क्योंकि यह भगवान आत्मा इस शक्ति के कारण स्वभाव से ही उत्पाद-व्यय-ध्रुवत्व सम्पन्न है ।।१८।।
इस उत्पादव्ययध्रुवत्वशक्ति को समझाने के उपरान्त अब परिणामशक्ति की चर्चा करते हैं -
इस उन्नीसवीं परिणामशक्ति का स्वरूप आत्मख्याति में इसप्रकार स्पष्ट किया गया है -
द्रव्य के स्वभावभूत उत्पादव्ययध्रौव्य से आलिंगित सदृश और विसदृश एक रूप वाली अस्तित्वमयी परिणामशक्ति है।
उत्पाद, व्यय और ध्रुवत्व द्रव्य के स्वभाव हैं। इनमें ध्रुवत्वभाव सदृश परिणाम है, सदा एक जैसा रहनेवाला परिणाम है तथा उत्पाद