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________________ 12 नय - रहस्य इसप्रकार यह स्पष्ट होता है कि ज्ञाता के अभिप्राय को नय कहते हैं। के एक अंश में प्रश्न वस्तु वस्तु का निश्चय कौन करता है ? उत्तर कब करता है? क्या हमारे व्यावहारिक जीवन में भी कभी ऐसा होता है ? अरे भाई ! हम और आप सभी दिन-रात अपने ज्ञान में ऐसा ही करते हैं व ऐसा ही कहते हैं। इसके बिना लोक-व्यवहार भी सम्भव नहीं है। इसीलिए तो मैं कहता हूँ कि मुख्यतया दो नयों का प्रयोग होने से इस जगत् को दुनिया कहा जाता है । स्वाद को मुख्य करके नीबू को खट्टा कहा जाता है। जरा सोचिए कि सारा नीबू खट्टा है या मात्र उसका स्वाद खट्टा है ? क्या नीबू का रंग, आकार, वजन, गन्ध आदि अन्य गुण भी खट्टे हैं ? नहीं, तो फिर सारा नीबू खट्टा कैसे हुआ ? मात्र उसका स्वाद ही तो खट्टा है न ? अतः स्वाद की अपेक्षा सारे नीबू को खट्टा कहना यही तो वस्तु के एक अंश में सम्पूर्ण वस्तु का निश्चय करना है। इसी का नाम अभिप्राय है और इसी का नाम नय है। - वास्तव में नयों की भाषा और परिभाषा जाने बिना भी नयप्रयोग करना, हमारे श्रुतज्ञान का स्वभाव होने से वह हमारे जीवन में गहराई से व्याप्त है। हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई तथा आबाल-वृद्ध कोई भी इस प्रक्रिया से अछूता नहीं है । क्रिकेट के ग्यारह खिलाड़ियों की टीम में सारे भारत की स्थापना करके सभी कहते हैं कि भारत जीत गया। प्रधानमंत्री द्वारा लिये गए निर्णयों को सारे देश का निर्णय माना जाता है। हम भारत के अत्यन्त छोटे हिस्से में रहकर भी यही कहते हैं व अनुभव करते हैं कि हम भारतवासी हैं। ये सब नय-प्रयोग ही तो हैं। प्रश्न यदि ये सब नय-प्रयोग हैं तो हम भी नय विशेषज्ञ हुए, फिर हमें नयचक्र क्यों पढ़ाया जा रहा है ? · - उत्तर भाई ! यह जीव, विषय - कषाय पोषक लौकिक बातों में तो अनादिकाल से चतुर है । काम - भोग-बन्ध की कथा इस जीव ने
SR No.007162
Book TitleNay Rahasya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaykumar Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2013
Total Pages430
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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