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________________ 11 नयों का सामान्य स्वरूप प्रश्न - गौण करने का क्या अर्थ है? . उत्तर - किसी धर्म की सत्ता को स्वीकार करते हुए भी उसके बारे में उस समय विचार न करना ही उसे गौण करना है। गौण करने में उसकी सत्ता का निषेध भी नहीं है तथा उसके बारे में विधि-निषेध का कोई विकल्प भी नहीं है। इसप्रकार उक्त परिभाषा में नय क्या है? किसे जानता है? और कैसे जानता है? - इन प्रश्नों का समाधान करते हुए नयों का स्वरूप बताया गया है। . यहाँ अभिप्राय के बारे में कुछ प्रश्नोत्तरों के माध्यम से विशेष स्पष्टीकरण किया जा रहा है। प्रश्न - अभिप्राय किसे कहते हैं? उत्तर - धवलाकार ने अभिप्राय शब्द का आशय स्पष्ट करते हुए लिखा है कि प्रमाण से गृहीत वस्तु के एकदेश में वस्तु का निश्चय करना ही अभिप्राय है। अर्थात् प्रमाण से जानी हुई वस्तु के द्रव्य अथवा पर्याय अंश में तथा सामान्य या विशेष अंश में वस्तु के निश्चय करने को अभिप्राय कहते हैं और यही नय है। प्रश्न - यहाँ अभिप्राय शब्द का अर्थ नयात्मक श्रुतज्ञान किया जा रहा है, जबकि अन्यत्र उसे श्रद्धा गुण की प्रतीतिरूप पर्याय के अर्थ में प्रयोग किया है? .. .. उत्तर -- एक ही शब्द विभिन्न प्रसंगों में भिन्न-भिन्न अर्थों में भी प्रयुक्त होता है। पण्डित टोडरमलजी, मोक्षमार्गप्रकाशक में अनेक स्थलों पर अभिप्राय' शब्द का प्रयोग श्रद्धा या प्रतीति के अर्थ में करते हैं; किन्तु यहाँ नयों के सन्दर्भ में अभिप्राय शब्द का अर्थ अपेक्षा, नय या श्रुतज्ञान ही समझना चाहिए। 1. जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश, भाग 2, पृष्ठ 513
SR No.007162
Book TitleNay Rahasya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaykumar Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2013
Total Pages430
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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