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________________ मेरे छात्र श्री संजयजी शास्त्री, जयपुर ने इस कृति के मुद्रण का कार्यभार सँभालकर मुझे निश्चिन्त कर दिया; अतः उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित किये बिना नहीं रह सकता। साथ ही टाइपिंग हेतु श्री पंकज जैन, सिवनी एवं श्रीमती प्रीति जैन, जयपुर का आभारी हूँ। ___ इसप्रकार इस कृति को निर्दोष रूप प्रदान करने में अनेक विशेषज्ञ विद्वानों का अमूल्य सहयोग प्राप्त हुआ है, जिनका उपकार भुलाया नहीं जा सकता। यह कृति, प्रतिपाद्य विषय को सभी पहलुओं से स्पष्ट करने में समर्थ और निर्दोष हो, एतदर्थ बुद्धिपूर्वक सम्पूर्ण सावधानी रखते हुए भी अनजाने में अनेक कमियाँ रह जाना स्वाभाविक है; अतः विद्वानों एवं प्रबुद्ध पाठकों से विनम्र अनुरोध है कि कमियों की ओर ध्यानाकर्षित अवश्य करें, ताकि उन पर पुनर्विचार करके आगामी संस्करण को परिशुद्ध किया जा सके। . श्री अतुलभाई खारा एवं जैन अध्यात्म एकेडमी ऑफ नॉर्थ अमेरिका परिवार का विशेष आभारी हूँ, जिसने इस कृति के प्रकाशन का गुरुतर दायित्व सहर्ष स्वीकार किया। पण्डित टोडरमल स्मारक ट्रस्ट तो मेरे जीवन का अभिन्न अंग है; अतः उसका आभार मानना अटपटा लगता है, फिर भी वह इसका संयुक्त प्रकाशक है; अतः कृतज्ञता व्यक्त किये बिना नहीं रह सकता। सभी जीव नय-रहस्य को जानकर नयातीत दशा प्राप्त करने का सम्यक् पुरुषार्थ प्रकट करें - यही भावना भाते हुए स्वयं नयातीत होने के पुरुषार्थ हेतु उद्यमवन्त होने की कामना करता हूँ। भाद्रपद शुक्ला पंचमी 9 सितम्बर 2013 अभयकुमार जैन एम. कॉम, जैनदर्शनाचार्य नय-रहस्य
SR No.007162
Book TitleNay Rahasya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaykumar Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2013
Total Pages430
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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