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________________ 304 नय - रहस्य . आया है - यह सही वाक्य नहीं है, क्योंकि फिर यदि सुरेशजी पूछेंगे कि किसका फोन आया है तो फिर से यही कहा जाएगा कि आपका, जबकि सुरेशजी यह जानना चाहते हैं कि मुझे फोन किसने किया है ? अतः यही कहना चाहिए कि आपके लिए रमेश का फोन आया है। पुरुष - व्यभिचार - उत्तम, मध्यम एवं अन्य पुरुष का दोषपूर्ण प्रयोग, पुरुष - व्यभिचार कहलाता है। जैसे, तुम कब आयेंगे - इस प्रयोग में ‘तुम' के साथ ‘आयेंगे' की जगह 'आओगे' शब्द का प्रयोग करके तुम कब आओगे यह प्रयोग होना चाहिए। - काल- व्यभिचार भूत, भविष्य और वर्तमान काल का अनुचित प्रयोग, काल - व्यभिचार कहलाता है । बहुधा किसी भी सभा के संचालक को प्रमुख वक्ता से इन शब्दों में अनुरोध करते हुए सुना जा सकता है कि अब मैं माननीय पण्डितजी से अनुरोध करूँगा कि वे अपना वक्तव्य प्रारम्भ करें। जरा सोचिए ! अनुरोध तो अभी किया जा रहा है, फिर 'करूँगा' कहना कहाँ तक उचित है ? अतः अब मैं अनुरोध करता हूँ - यह कहना निर्दोष है । इसीप्रकार प्रायः हर व्यक्ति फोन करते समय यह कहते हुए सुना जाता है कि मैं अमुक बोल रहा था, वर्तमान में बोल रहे हैं, फिर भी 'बोल रहा था' कहना उचित है क्या? अतः मैं बोल रहा हूँ - ऐसा कहना ही उचित है। - इसीप्रकार अन्य अपेक्षाओं से भी गलत प्रयोग किये जाते हैं। बहुत-से लोग किसी की प्रशंसा करते समय अनुचित विशेषणों का प्रयोग करते हुए बेझिझक कहते हुए सुने जा सकते हैं - अरे भाई ! उन जैसा भयंकर विद्वान् आज तक नहीं देखा। वे यह भी नहीं सोचते कि क्या विद्वान् भयंकर होते हैं? भय उत्पन्न करनेवाले होते हैं या प्रभावशाली आदि होते हैं, अतः भयंकर के स्थान पर लोकप्रिय, प्रभावशाली, प्रखर
SR No.007162
Book TitleNay Rahasya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaykumar Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2013
Total Pages430
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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