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पर्यायार्थिकनय के भेद-प्रभेद
. 271 द्रव्य के बिना पर्याय नहीं होती - इस तथ्य का ज्ञान सत्ता सापेक्ष अशुद्धपर्यायार्थिकनय से होता है तथा पर्याय के बिना द्रव्य नहीं होता - इस तथ्य का ज्ञान उत्पाद-व्ययसापेक्ष अशुद्धद्रव्यार्थिकनय से होता है।
प्रश्न - उत्पाद-व्ययसापेक्ष अशुद्धद्रव्यार्थिकनय और सत्तासापेक्ष अशुद्धपर्यायार्थिकनय में क्या अन्तर है?
उत्तर - जब द्रव्य (ध्रुव) को उत्पाद-व्यय के साथ मिलाकर देखा जाए, तब उत्पाद-व्ययसापेक्ष अशुद्धद्रव्यार्थिकनय लागू होता है। यहाँ देखना तो द्रव्य को है, फोटो तो द्रव्य की खींचना है, परन्तु उत्पाद-व्यय के साथ में। इसीप्रकार सत्तासापेक्ष अशुद्धपर्यायार्थिकनय में देखना तो पर्याय को है, परन्तु सत्ता (द्रव्य) के साथ में। प्रथम नय, द्रव्य को विषय बना रहा है, जबकि द्वितीय नय पर्याय को विषय बना रहा है।
लोक में भी कभी पुत्र की पहचान पिता से होती है कि यह अमुक व्यक्ति का पुत्र है तो कभी पिता की पहचान पुत्र से होती है कि ये अमुक व्यक्ति के पिता हैं। जब पुत्र की पहचान पिता से की जाए तो पितृ-सापेक्ष पुत्र-नय होगा और जब पिता की पहचान, पुत्र से की जाए तो पुत्र-सापेक्ष पितृ-नय कहलाएगा। इसीप्रकार यदि कोई व्यक्ति, अपनी पत्नी से कहे कि 'तुम इस साड़ी में बहुत सुन्दर लगती हो तो यह साड़ी-सापेक्ष महिला का वर्णन होगा; परन्तु यदि कोई विक्रेता कहे कि 'यह साड़ी आप पर बहुत सुन्दर लगेगी' तो यह महिला-सापेक्ष साड़ी का वर्णन कहलाएगा। .. इसप्रकार सत्तासापेक्ष अनित्य-अशुद्धपर्यायार्थिकनय तथा सत्तानिरपेक्ष अनित्य-शुद्धपर्यायार्थिकनय - इन दोनों नयों के द्वारा द्रव्य की सापेक्षता और निरपेक्षता को जानकर, पर्याय का लक्ष्य छोड़कर