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________________ 14 पर्यायार्थिकनय के भेद - प्रभेद सामान्य-विशेषात्मक या द्रव्य-पर्यायात्मक वस्तु में विशेषों या पर्यायों को मुख्य करके जाननेवाला नय पर्यायार्थिकनय है। आलापपद्धति' और द्रव्यस्वभावप्रकाशक नयचक्र' में पर्यायार्थिकनय के छह भेदों का उल्लेख किया गया है, जिनका स्वरूप इसप्रकार है 1. अनादिनित्यपर्यायार्थिकनय - जो नय, अकृत्रिम और अनिधन अर्थात् अनादि-अनन्त सूर्य, चन्द्रमा, सुमेरुपर्वत आदि पर्यायों को ग्रहण करता है, वह अनादिनित्यपर्यायार्थिकनय है। धर्मास्तिकाय आदि चार द्रव्यों की पर्यायें भी अनादिनित्यपर्यायार्थिकनय का विषय भी बन सकती हैं। - 2. सादिनित्यपर्यायार्थिकनय जो पर्याय, कर्मों के क्षय से उत्पन्न होने के कारण सादि है और विनाश का कारण न होने से अविनाशी हैं - ऐसी सादिनित्यपर्याय को ग्रहण करनेवाला, सादिनित्यपर्यायार्थिकनय है। जैसे, जीव की सिद्ध पर्याय । 3. सत्तानिरपेक्ष अनित्य-शुद्धपर्यायार्थिकनय है - जो नय, सत्ता को गौण करके उत्पाद - व्यय को ग्रहण करता है, वह अनित्यस्वभावग्राही सत्तानिरपेक्ष अनित्य- शुद्धपर्यायार्थिकनय है । ― 1. आलाप - पद्धति, पृष्ठ 215 2. द्रव्यस्वभावप्रकाशक नयचक्र, गाथा 199-204
SR No.007162
Book TitleNay Rahasya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaykumar Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2013
Total Pages430
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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