________________
218
नय-रहस्य
का स्वरूप, द्रव्यार्थिकनय और पर्यायार्थिकनय तथा प्रमाणज्ञान द्वारा निर्णय करना आवश्यक है।
प्रमाण की विषयभूत द्रव्य-पर्यायात्मक वस्तु, सामान्य-विशेषात्मक, भेदाभेदात्मक, नित्यानित्यात्मक तथा एकानेकात्मकरूप है। इसमें वस्तु का द्रव्यांश - सामान्य, अभेद, नित्य और एकत्वरूप है; जिसे जाननेवाला ज्ञान, द्रव्यार्थिकनय कहलाता है। इसीप्रकार वस्तु का पर्यायांश - विशेष, भेद, नित्य और अनेकरूप है; जिसे जाननेवाला ज्ञान पर्यायार्थिकनय कहलाता है।
यहाँ एक बात ध्यान में रखने योग्य है कि इस प्रसंग में द्रव्यांश शब्द का अर्थ - द्रव्य का अंश नहीं, अपितु वस्तु का द्रव्यरूप अंश/ अंशी अर्थात् वह अंश/अंशी जो द्रव्य कहलाता है, उसे ग्रहण करना चाहिए। इसीप्रकार पर्यायांश शब्द का अर्थ - पर्याय का अंश न समझकर, पर्यायरूप अंश जानना चाहिए।
- ऊपर कहे गये द्रव्यांश के सामान्य, अभेद, नित्य और एक विशेषण तथा पर्यायांश के विशेष, भेद, अनित्य और अनेक विशेषणों को द्रव्य-क्षेत्र-काल-भाव में घटित करके इसप्रकार समझना चाहिए।
स्वरूप-चतुष्टय में प्रमाण तथा द्रव्यार्थिकनय और पर्यायार्थिकनय के प्रयोग को निम्न तालिका द्वारा सरलता से समझा जा सकता है -
स्वद्रव्य | स्वक्षेत्र | स्वकाल | स्वभाव प्रमाण | सामान्य- भेदाभेदात्मक नित्यानित्यात्मक एकानेकात्मक
विशेषात्मक द्रव्यार्थिक- | सामान्य अभेद नित्य
एक
नय
पर्यायार्थिक- विशेष | नय
अनित्य
अनेक