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________________ व्यवहारनय के भेद-प्रभेद की तथा विदेशमन्त्री, रक्षामन्त्री आदि अन्य देशों के साथ सम्बन्धों की निगरानी करते हैं। 13. उन विभागों की निगरानी रखनेवाले मन्त्रियों के सहयोग के लिए उपमन्त्री, राज्यमन्त्री आदि नियुक्त होते हैं। 14. प्रशासनिक दृष्टि से देश को अनेक प्रान्तों में तथा कार्यसंचालन की दृष्टि से अनेक विभागों में बाँटने पर भी देश अखण्डित रहता है। यह विभाजन देश की एकता के विरुद्ध नहीं है। 15. देश के विभिन्न विभाग और प्रान्त, अपना-अपना कार्य करने पर भी एक-दूसरे के पूरक हैं, विरोधी नहीं है। 16. यदि कोई प्रान्त सर्वथा पृथक् होने की बात करे या कोई विभाग दूसरे विभाग से सहयोग न करे तो केन्द्रीय शासन हस्तक्षेप करके उस अलगाववाद का निर्दयता से निषेध कर देता है। 13. 14. 15. 16. 165 तथा असद्भूतव्यवहारनय अन्य द्रव्यों के साथ सम्बन्धों की निगरानी करते हैं । सद्भूत तथा असद्भूतव्यवहारनय के भी उपचरित और अनुपचरित भेद होते हैं। सर्वप्रभुता सम्पन्न आत्मा असंख्य प्रदेशी, तथा अनन्त शक्ति सम्पन्न होने पर भी अखण्डित रहता है। असंख्य प्रदेश और अनन्त शक्तियाँ आत्मा की अखण्डता के विरुद्ध नहीं हैं। आत्मा के अनन्त गुण अपना-अपना कार्य करने पर भी एक गुण का रूप दूसरे गुण में पाया जाता है। अज्ञानी जीव अभेदस्वभाव को भूलकर, स्वयं को भेदरूप ही अनुभव करता है, अतः परमशुद्धनिश्चयनय द्वारा गुणपर्यायों के भेद का निर्दयता से निषेध करके अभेदानुभूति प्रगट करने पर बल दिया जाता है।
SR No.007162
Book TitleNay Rahasya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaykumar Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2013
Total Pages430
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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