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________________ 162 है। सभी देश इसकी इकाइयाँ हैं, जो अपने में पूर्ण स्वतन्त्र अखण्ड और परिपूर्ण हैं। 2. 2. एक देश में अनेक प्रदेश (प्रान्त) | होने पर भी वह खण्डित नहीं होता । 3. प्रत्येक देश की अपनी-अपनी अनेक शक्तियाँ तथा संचालन व्यवस्थाएँ होने पर भी देश अखण्डित रहता है। 4. यदि कोई देश किसी अन्य देश की सीमाओं का उल्लंघन करे या उसकी व्यवस्थाओं में हस्तक्षेप करे, तब उस देश की प्रभु-सम्पन्नता प्रभावित होने लगती है। भी प्रशासन 5. देश की अखण्डता और एकता कायम रखते हुए और व्यवस्था की दृष्टि से उसे प्रान्त, जिलों, नगरों, ग्रामों आदि में बाँटा जाता है। नय - रहस्य समूह है। प्रत्येक द्रव्य इसकी पूर्ण स्वतन्त्र, अखण्ड और परिपूर्ण इकाई है। बहुप्रदेशी द्रव्यों के अनेक प्रदेश होने पर भी वे खण्डित नहीं होते। 3. प्रत्येक द्रव्य में अनन्त शक्तियाँ और अनन्त अवस्थाएँ होने पर भी उसकी अखण्डता खण्डित नहीं होती, उसकी प्रभुसम्पन्नता प्रभावित नहीं होती । 4. यदि कोई द्रव्य, किसी अन्य द्रव्य की सीमा में प्रवेश करे या उसकी व्यवस्थाओं में हस्तक्षेप करे तो उस द्रव्य की प्रभुसम्पन्नता प्रभावित होगी, परन्तु अलौकिक विश्व-व्यवस्था में ऐसा सम्भव नहीं है। - 5. प्रत्येक द्रव्य की अखण्डता कायम रखते हुए भी समझाने के प्रयोजन से उसके गुण-गुणी, पर्याय- पर्यायवान्, प्रदेश - प्रदेशवान् तथा द्रव्य - क्षेत्र - काल-भाव आदि के भेद किये जाते हैं।
SR No.007162
Book TitleNay Rahasya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaykumar Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2013
Total Pages430
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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