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________________ निश्चयनय के भेद-प्रभेद - .153 उत्तर - त्रिकाली द्रव्य के आश्रय से उत्पन्न होनेवाली एकदेश निर्मलपर्याय अर्थात् मोक्षमार्ग पर्याय साधन है तथा साधन का फल अर्थात् मोक्षपर्याय साध्य है, जबकि त्रिकाली ध्रुव भगवान आत्मा ध्येय है। ___ इसप्रकार निश्चयनय के भेद-प्रभेदों को समझकर परमशुद्धनिश्चयनय के विषय का अवलम्बन लेकर साक्षात्शुद्धनय की विषयभूत मोक्षदशा का पुरुषार्थ प्रकट करना ही श्रेयस्कर है। . अभ्यास-प्रश्न 1. निश्चयनय के भेद नहीं हो सकते - इस मान्यता की समीक्षा कीजिए। 2. निश्चयनय के भेदों की आवश्यकता प्रतिपादित करते हुए चारों भेदों का __स्वरूप स्पष्ट कीजिए। 3. यदि निश्चयनय के भेद न किये जाएँ तो क्या हानि है? सतर्क विवेचन करें। 4. निश्चयनय के भेदों को पाँच भाव, चौदह गुणस्थान और सात तत्त्व में ___घटित करते हुए सिद्ध कीजिए कि निश्चयनय के भेदों का सर्वथा निषेध करने से सातं तत्त्वों की सिद्धि नहीं हो सकती। 5. रागादिभावों को पौद्गलिक एवं जीवकृत कहने की अपेक्षाएँ और प्रयोजन - स्पष्ट कीजिए। 6. पर्याय, स्वयं क्षणिक होने पर भी अपने को शाश्वत अनुभव करते हुए भी उसे मिथ्यात्व क्यों नहीं होता और सम्यक्त्व कैसे होता है? स्पष्ट कीजिए।
SR No.007162
Book TitleNay Rahasya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaykumar Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2013
Total Pages430
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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