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________________ नय - रहस्य सद्भूतव्यवहारनय भी घटित हो सकता है। इस प्रकरण का स्पष्टीकरण व्यवहारनय के भेद-प्रभेद वाले अध्याय में किया जाएगा। 140 प्रश्न 5 एकदेश- शुद्धनिश्चयनय के विषयभूत शुद्धभाव के नामान्तर भी उपलब्ध होते हैं क्या ? - उत्तर समयसार, गाथा 320 की जयसेनाचार्य कृत टीका में एकदेश - शुद्धनिश्चयनय के विषय को अध्यात्मभाषा में द्रव्यशक्तिरूप शुद्धपारिणामिकभाव की भावना, निर्विकल्प समाधि, शुद्धोपयोग, शुद्धात्माभिमुख परिणाम आदि अनेक नामों से कहा गया है। इसी परिणाम को आगम भाषा में भव्यत्व नामक पारिणामिकभाव की प्रगटता तथा औपशमिक या क्षायोपशमिक भाव भी कहा जाता है। - प्रश्न- 6. - साधकदशा का शुद्धोपयोग, एकदेशशुद्धनिश्चयनय का विषय है तो बारहवें गुणस्थान तक अशुद्धनिश्चयनय कैसे घटित होगा ? उत्तर - साधक का शुद्धोपयोग, क्षयोपशमभावरूप होने से उसमें अशुद्धता का अंश भी है; अतः वह अशुद्धनिश्चयनय का विषय बनेगा । वृहद्रव्यसंग्रह, गाथा 34 की टीका में इसका स्पष्टीकरण इसप्रकार किया गया है - - शंका - अशुद्धनिश्चयनय में मिथ्यादृष्टि आदि गुणस्थानों में ( अशुभ, शुभ और शुद्ध) तीन उपयोगों का व्याख्यान किया; वहाँ अशुद्धनिश्चयनय में शुद्धोपयोग किसप्रकार घटित होता है ? समाधान - शुद्धोपयोग में शुद्ध, बुद्ध, एकस्वभावी निजात्मा ध्येय होता है। इसकारण शुद्ध ध्येयवाला होने से, शुद्ध - अवलम्बनवाला होने से और शुद्धात्मस्वरूप का साधक होने से अशुद्धनिश्चयनय में शुद्धोपयोग घटित होता है। 'संवर' शब्द से वाच्य वह शुद्धोपयोग, संसार के कारणभूत
SR No.007162
Book TitleNay Rahasya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaykumar Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2013
Total Pages430
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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