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________________ * 138 निश्चयनय के भेद 1. परमशुद्धनिश्चयनय पाँच भाव भाव 2. साक्षात्शुद्ध- क्षायिक भाव निश्चयन 14. अशुद्धनिश्चयनय परम पारिणामिक - औदयिक भाव और क्षायोपशमिक सात तत्त्व भाव मोक्षतत्त्व 3. एकदेशशुद्ध- क्षायोपशिक भाव संवर- निर्जरा चतुर्थ गुणस्थान से निश्चयनय और उपशम भाव तत्त्व बारहवें गुणस्थान तक होनेवाली आंशिक नय - रहस्य शुद्ध जीवतत्त्व गुणस्थानातीत (सभी जीवों चौदह गुणस्थान आस्रव बन्ध तत्त्व में पाया जाता है ) चतुर्थ गुणस्थान से सिद्धदशा पर्यन्त रहने वाला क्षायिकभाव शुद्ध पर्याय प्रथम गुणस्थान से बारहवें या चौदहवें गुणस्थान पर्यन्त होनेवाले औदयिकभाव प्रश्न 3 क्षायोपशमिक भाव को एकदेश शुद्धनिश्चयनय का विषय भी कहा गया है और अशुद्ध निश्चयनय का विषय भी कहा जाता है ? इस सम्बन्ध में वास्तविक स्थिति स्पष्ट करें ? उत्तर - क्षयोपशम भाव में शुद्धता और अशुद्धता दोनों का मिश्रण रहता है, अतः उसमें विद्यमान शुद्धता के अंश से आत्मा को अभेद देखना, एकदेशशुद्धनिश्चयनय कहलाता है और उसमें विद्यमान अशुद्धता के अंश के साथ आत्मा को अभिन्न देखना अशुद्धनिश्चयनय कहलाता है। एकदेशशुद्ध निश्चयनय आंशिक शुद्धपर्यायों को ही आत्मा से अभिन्न देखता है। अपूर्णता की अपेक्षा इसे एकदेश और शुद्धता की
SR No.007162
Book TitleNay Rahasya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaykumar Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2013
Total Pages430
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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